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आपको नई जिंदगी जीना सिखा देगी खेलने की आदत

Posted at: Feb 9 , 2020 by Dilersamachar 10710

दिलेर समाचार, नरेश सिंह नयाल। जीवन में प्रत्येक व्यक्ति किसी न किसी प्रकार से खेलों से अवश्य ही जुड़ा होता है फिर चाहे वह मैदानों में खेले, घर पर बैठे-बैठे खेले या अपने दोस्तों के साथ मुहल्ले की गलियों में ही क्यों न खेले। हर प्रकार से ये खेल मनुष्य के जीवन को संवारने में सहायक होते हैं। उसे कई भावनाओं और व्यक्तित्व के गुण खेल-खेल में ही सिखा देते हैं। उसका भरपूर मनोरंजन करते हैं तथा उसके शारीरिक गठन का भी विकास करते हैं।

खेल हमें स्वस्थ ही नहीं रखते बल्कि स्फूर्ति और शारीरिक क्षमताएं भी प्रदान करते हैं जिनके कारण हम अपने जीवन में कई अन्य कार्यों को आसानी के साथ अंजाम दे सकते हैं। इतना ही नहीं, शारीरिक लाभ के साथ-साथ खेल हमें मानसिक लाभ भी पहुंचाते हैं। मानसिक चातुर्य के लिए भी खेल अति आवश्यक होते हैं। इन्हीं खेलों के कारण हमारी भूख भी बनी रहती है अर्थात विकास के लिए हम पौष्टिक आहार लेना प्रारंभ कर देते हैं। यदि कोई व्यक्ति खेलों में संलग्न रहता है तो उसकी पाचन शक्ति भी ठीक-ठाक रहती है तथा उसकी रोगों से लड़ने की क्षमता भी बढ़ जाती है। दूसरी तरफ खेल हमें अपने आस-पड़ोस, अपने मित्रों व देश-विदेश में एक पहचान दिलाते हैं। हम खेलते-खेलते कब एक दूसरे से मित्राता कर लेते हैं, इस बात का पता भी नहीं चल पाता। इन्हीं खेलों को जब हम प्रतिस्पर्द्धात्मक रूप में  लेते हैं या जीवन का ध्येय बना लेते हैं तब शुरू होता है एक कड़ी मेहनत और निरंतर मेहनत का दौर। यह इसलिए कि तब प्रारंभ होता है एक मानव को प्रशिक्षण द्वारा खिलाड़ी में तब्दील करने का। उसकी तरफ ध्यान दिया जाता है। एक निश्चित दिशा में कई लोग मिलकर उसे प्रशिक्षण प्रदान करते हैं ताकि अपने शारीरिक गुणों व खेल की प्रमुख अर्हताओं के तहत विशेषज्ञों द्वारा दिए गए प्रशिक्षण से वह विशिष्टता और शीर्ष स्थान ग्रहण कर सके। इस क्षेत्रा में यानी खेल जगत में केवल तीन स्थान होते हैं अर्थात केवल स्वर्ण, रजत और कांस्य पदक पाने वाले को ही लोग जानते हैं जबकि हम यदि शिक्षा का पहलू लें तो वहां पर शत प्रतिशत से लेकर केवल उत्तीर्ण होने वाले को भी कुछ न कुछ स्थान जीवन में मिल ही जाता है। इस प्रकार उन तीन विजेताओं पर पूरी दुनियां की नजर होती है तथा उनकी जीत पर सारा संसार अपने-अपने तरीके से जश्न मनाता है। इस प्रकार खेलों के कारण ही खिलाडि़यों की ख्याति का प्रसार होता रहता है।

खेल-खेल में ही दुनियां के लाखों रंग हैं और इनको खेलने वालों की ही नहीं बल्कि देखने व सराहने वालों की भी अपनी एक अलग और विशिष्ट पहचान होती है। जब इतना कुछ है इन खेलों में तो फिर क्यों हम आज भी खेल जगत में कदम रखने से संकोच करते हैं। आगे बढ़ो, खुल कर रखो कदम। कुछ नहीं तो अपना ही सर्वाधिक विकास तो निश्चित ही है।

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