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सीबीआई की क्लोजर रिपोर्ट अभी सुप्रीम कोर्ट में ही दाखिल हुई है. इसके बाद सीबीआई को अपनी रिपोर्ट में हर संदिग्ध मौत को व्यापम से संबंध खारिज करने के लिए सीबीआई की विशेष अदालत में पक्ष रखना होगा.
व्यापम घोटाले से जुड़ी संदिग्ध मौतों पर सीबीआई की क्लोजर रिपोर्ट कहती है कि 24 में से 10 लोगों ने जो संदिग्ध तौर पर सुसाइड किया, उनकी मौत की वजह कतई व्यापम घोटाला नहीं है. सीबीआई के मुताबिक, सुसाइड करने वालों ने या तो एकतरफा प्यार में जहर खाया. या फिर घरेलू तनाव के कारण फांसी के फंदे पर लटक गए.
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मध्य प्रदेश के मुरैना में अपने ही घर में पंखे से लटककर 26 जुलाई को प्रवीण यादव नाम के एक शख्स ने खुदकुशी कर ली थी. प्रवीण पर व्यापम घोटाले के जरिए मेडिकल कॉलेज में दाखिला लेने का आरोप था और पेशी से एक दिन पहले उसने यहां जान दे दी. हांलाकि प्रवीण यादव की संदिग्ध खुदकुशी की जांच अब तक सीबीआई के दायरे में नहीं आई है.
इस मामले में मध्य प्रदेश सरकार संदेह के घेरे में है. जिसकी बनाई एसटीएफ ने नौ संदिग्ध मौतों में बिना पोस्टमार्टम अपनी रिपोर्ट लगा दी. एसआईटी संदेह के घेरे में है, जिसकी निगरानी में जांच कर रही एसटीएफ की पड़ताल पर हमेशा सवाल उठते रहे. सीबीआई की जांच भी संदेह से परे नहीं, जिसने कई पोस्टमार्टम रिपोर्ट ना होने के बाद भी कह दिया कि मौत का व्यापम से संबंध नहीं.
तो क्या STF से लेकर CBI तक पर कोई राजनीतिक दबाव रहा, जो अधूरी जांच पर क्लोजर रिपोर्ट लगाई जा रही है. प्रवीण यादव के पिता, नरेंद्र तोमर की बहन, नम्रता डामोर के पिता, ऐसे हर उस परिवार को अब भी इंसाफ का इंतजार है, जो मानते हैं कि इनके अपनों की मौत के पीछे व्यापम घोटाले का वो चेहरा है, जिस तक हाथ ना पहुंचे, इसलिए जांच एजेंसी ने लीपापोती करके जांच के नाम पर केस का पिंडदान कर दिया है.
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