दिलेर समाचार,ये हमारी जिंदगी का कड़वा सच है कि जो मनुष्य इस जीवन में आया है वो जाएगा भी।इतिहास गवाह है बड़े-बड़े महारथी भी इस मृत्यु के सच कों झुठला ना सके।भगवत गीता में भगवान कृष्ण कहते हैं, "मृत्यु एक ऐसा सत्य है, जिसे टाला नहीं जा सकता। वेदों के अनुसार जीवन के चक्र से मुक्ति पाने को मृत्यु कहा जाता है। यह ना किसी को समय से पहले आयी है और ना समय के बाद।आत्मा के शरीर छोड़ने के बाद हमारा शरीर पृथ्वी, अग्नि, आकाश, वायु और जल यानी पंचतंत्र में विलीन हो जाता है। हिंदू धर्म में मृत्यु के बाद, मृत शरीर अंतिम संस्कार के लिए श्मशान ले जाया जाता है।
इसके लिए शरीर को सफ़ेद कपड़े से लपेटा जाता है और लाल कपड़े में विवाहित महिला को लपेटा जाता है। फिर उन पर फूल चढ़ाये जाते हैं। उसके बाद मृतक की अर्थी को चार लोग कंधा दे कर शमशान घाट तक ले जाते हैं। इसीलिए हम अक्सर काम पर जाते समय, घर जाते समय, स्कूल जाते समय अर्थी को देखते हैं। लेकिन क्या अर्थी देखना शुभ होता है। आइये जानते हैं
जब भी आप किसी की अर्थी देखे तो हाथ जोड़ कर सर झुकाएं और प्रणाम करें। इसके साथ शिव शिव का जाप करें।
हिंदू ग्रंथों के अनुसार मृत्यु के बाद आत्मा शरीर से जुड़ी होती है और जो लोग मंत्र का उच्चारण करते हैं उनके किसी भी दर्द, दुःख को अपने साथ ले जाती है।
मनुस्मृति में यह उल्लेख है कि व्यक्ति का अंतिम संस्कार उसके गांव में होना चाहिए।
लोगों को ऐसी सलाह दी जाती है कि अर्थी के समय लोगों को आपस में बात करने के बजाये भगवान् का नाम लेना चाहिए।
अर्थी देखने के वक्त व्यक्ति को अपनी इच्छाओं के बारे में सोचना चाहिए। ऐसा कहा जाता है कि आत्मा उन सारी इच्छाओं यमराज तक पहुँचती हैं।
अर्थी देखने पर व्यक्ति को वहीँ रुक जाना चाहिए और शिव का नाम ले कर ही आगे बढ़ना चाहिए।
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