दिलेर समाचार, आरबीआई इसी हफ्ते इस बात पर विचार करेगा कि कर्ज देकर फंस चुके कमजोर बैंकों को नए सिरे से ऋण बांटने की इजाजत दी जाए या नहीं। इन सरकारी बैंकों को आरबीआई ने प्रॉम्प्ट करेक्टिव ऐक्शन (PCA) के दायरे में ला दिया था। इस तरह आरबीआई ने तय किया था कि जब तक इन बैंकों की हालत नहीं सुधरती, तब तक ये कोई बड़ा नया कर्ज नहीं दे सकेंगे। अब आरबीआई यह विचार करने जा रहा है कि इस बंदिश में कुछ ढील दी जाए या नहीं।
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आरबीआई का वित्तीय निगरानी बोर्ड (बोर्ड फॉर फाइनैंशल सुपरविजन BFS) 6 दिसंबर को बैठक करेगा। कुछ दिनों पहले तय किए गए बीएफएस के अजेंडा के मुताबिक, इस मीटिंग में पीसीए फ्रेमवर्क में डाले गए 11 बैंकों की ताजा माली हालत का जायजा लिया जाएगा ताकि कर्ज देने की छूट के मसले पर निर्णय किया जा सके। बीएफएस के सदस्य अपनी सलाह आरबीआई के मुख्य बोर्ड को देंगे, जो अंतिम निर्णय करेगा।
'तीन बैंकों में कुछ सुधार'
मामले से वाकिफ एक शख्स ने बताया, 'पीसीए में डाले गए तीन बैंकों में कुछ सुधार हुआ है। बोर्ड को तय करना है कि पीसीए को किस तरह चरणबद्ध ढंग से हटाया जा सकता है, ये तीनों बैंक अगले छह महीनों में क्या कर सकते हैं और इस मामले में केंद्र और आरबीआई की क्या भूमिका होगी।'
क्या है पीसीए
पीसीए की व्यवस्था के तहत बैंकों से कुछ रिस्की गतिविधियों से परहेज करने, कामकाजी दक्षता बढ़ाने और पूंजी की हिफाजत पर जोर देने के लिए कहा जाता है। हालांकि कई बैंकरों को डर है कि पीसीए प्रोग्राम लंबे समय तक चलने से बड़े और कर्ज पाने की पात्रता रखने वाले क्लाइंट्स छिटक सकते हैं और ये बैंक कहीं ज्यादा कमजोर हो सकते हैं।
नकदी फंसी
सरकार का मानना है कि पीसीए के तहत इन बैंकों को डालने से लेनदेन लायक काफी नकदी फंस गई है। ये बैंक मुख्य तौर पर रिटेल, मॉर्गेज और छोटे लोन तक सीमित रह गए हैं और क्रेडिट क्रिएशन में भागीदार नहीं बन पा रहे हैं। पीसीए में आए ये 11 बैंक भारत की बैंकिंग इंडस्ट्री का करीब एक चौथाई हिस्सा हैं और इनका आकार देश के समूचे नॉन-बैंकिंग फाइनेंस कंपनी सेक्टर (हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों को छोड़कर) के लगभग बराबर है।
एक सीनियर बैंकर ने कहा, 'पीसीए बैंकों का जिन क्षेत्रों में अच्छी मौजूदगी थी, उन्हें पर्याप्त कर्ज नहीं मिल पा रहा है। वैसे भी उधार लेने वालों के लिए अचानक दूसरे बैंक के पास जाना आसान नहीं होता है। जेम्स ऐंड जूलरी जैसे कुछ सेक्टर्स को मिलने वाले कर्ज में 40 प्रतिशत तक कमी आई है। हालांकि पीसीए बैंकों के टोटल लोन का 16-23% तक हिस्सा बैड लोन हो जाने के कारण आरबीआई को भी सिस्टम बचाने के लिए कदम उठाना ही पड़ा। यह मसला अलग है कि पीसीए सही कदम था या नहीं।'
इन बैंकों को रखा गया है पीसीए में
पीसीए फ्रेमवर्क के तहत देना बैंक, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ महाराष्ट्र, यूको बैंक, आईडीबीआई बैंक, ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स, इंडियन ओवरसीज बैंक, कॉरपोरेशन बैंक, बैंक ऑफ इंडिया, इलाहाबाद बैंक और यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया को रखा गया है।
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