दिलेर समाचार, नई दिल्ली. फिजियोलॉजी और मेडिसिन का 2020 का नोबल प्राइज़ (2020 Nobel Prize in Physiology or Medicine) संयुक्त रूप से हार्वे जे ऑल्टर (Harvey J. Alter), माइकल ह्यूटन (Michael Houghton) और चार्ल्स एम राइज (Charles M. Rice) को देने की घोषणा की गई है. ये पुरस्कार इनके हेपेटाइटिस सी वायरस (Hepatitis C virus) की खोज करने के योगदान के चलते दिया जा रहा है. इन तीनों ही वैज्ञानिकों ने मौलिक खोजों के जरिए एक नोवल वायरस, हेपेटाइटिस सी की पहचान हुई. पुरस्कार देने वाली संस्था का कहना है कि इस वर्ष का नोबेल पुरस्कार उन तीन वैज्ञानिकों को प्रदान किया जाता है जिन्होंने रक्त-जनित हेपेटाइटिस के खिलाफ लड़ाई में निर्णायक योगदान दिया है, जो एक प्रमुख वैश्विक स्वास्थ्य समस्या है जो दुनिया भर के लोगों में सिरोसिस और यकृत कैंसर का कारण बनती है.
अपने काम से पहले, हेपेटाइटिस ए और बी वायरस की खोज महत्वपूर्ण कदम आगे बढ़ गई थी, लेकिन अधिकांश रक्त-जनित हेपेटाइटिस के मामले अस्पष्टीकृत रहे. हेपेटाइटिस सी वायरस की खोज ने क्रोनिक हेपेटाइटिस के शेष मामलों के कारण का पता लगाया और रक्त परीक्षण और नई दवाओं को संभव बनाया जिसने लाखों लोगों की जान बचाई है. लीवर की सूजन, या हेपेटाइटिस, यकृत और सूजन के लिए ग्रीक शब्दों का एक संयोजन मुख्य रूप से वायरल संक्रमण के कारण होता है, हालांकि शराब का दुरुपयोग, पर्यावरण विषाक्त पदार्थों और ऑटोइम्यून रोग भी इसके महत्वपूर्ण कारण हैं.
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