दिलेर समाचार, मुंबई. वेंटिलेटर पर 5 महीने की बच्ची, जिंदगी और मौत के बीच सिर्फ एक से दो महीने का फासला और जान बचाने के लिए चाहिए 16 करोड़ का इंजेक्शन. ये दर्दनाक कहानी है तीरा कामत (Teera Kamat) की. एक ऐसी कहानी जिसे पढ़ कर आपकी आंखें नम हो जाएंगी. पिछले कुछ दिनों से तीरा का मुंबई के एसआरसीसी अस्पताल (SRCC Hospital Mumbai) में इलाज चल रहा है. ये बच्ची एसएमए टाइप 1 (SMA Type 1) की बीमारी से पीड़ित है. एक ऐसी बीमारी जिससे किसी भी बच्चे की जिंदा रहने की संभावना ज्यादा से ज्यादा 18 महीने रहती है. तीरा को बचाने के लिए अब हर किसी की उम्मीद सिर्फ और सिर्फ उस इंजेक्शन पर टिकी है, जिसे अमेरिका से खरीद कर भारत लाया जाएगा.
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तीरा के पिता मिहिर कामत के मुताबिक जन्म के वक्त लगभग सब कुछ सामान्य था. वो आम बच्चों के मुकाबले थोड़ी लंबी थी, इसी लिए उसका नाम तीर पर तीरा रखा गया, लेकिन धीरे-धीरे उसकी बीमारी के बारे में हर किसी को एहसास होने लगा. मां का दूध पीते वक़्त तीरा का दम घुटने लगता. डॉक्टरों ने कहा कि वो एसएमए टाइप 1 से पीड़ित है. साथ ही डॉक्टरों ने परिवारवालों से ये भी कहा कि इस बीमारी का भारत में भी कोई इलाज नहीं है और उनकी बच्ची 6 महने से ज्यादा ज़िंदा नहीं रहेगी. ये सब सुनकर परिवार में सन्नाटा पसर गया.
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