आनन्द कुमार अनन्त
दिलेर समाचार, एक ऐसा दुर्लभ पेड़ है जिसकी टहनी तोड़ने से उसमें से खून की बूंदें टपकने लगती हैं। इस पेड़ का क्या नाम है, यह तो सही-सही पता नहीं है किन्तु स्थानीय लोग इसे ’भवानी माँ‘ के नाम से पुकारते हैं। उनका मानना है कि यह पेड़ भक्तों की सभी प्रकार की मनोकामनाओं को पूरा करता है।
इस पेड़ से संबंधित एक कथा प्रचलित है। इस कथा के अनुसार मुगलकाल में एक पतिव्रता नारी दही बेचकर घर जा रही थी। कुछ मुगल सिपाहियों ने उस नारी को पकड़ लिया तथा उसके साथ बलात्कार करना चाहा। अपने ऊपर बलात्कार के खतरे को मंडराते देखकर उस नारी ने धरती माता से रक्षा करने की गुहार लगायी। धरती फटी और वह पतिव्रता उसके गर्भ में समा गयी। इस घटना के कुछ दिनों के बाद ही वहां एक विचित्रा प्रकार का पेड़ उग गया। धीरे-धीरे वह पेड़ बड़ा होने लगा।
कुछ दिनों के बाद गांव वालों को एक ’स्वप्न‘ आया कि उक्त पेड़ की रक्षा करते हुए उसकी पूजा ’मरूआ के पिठ्ठा‘ तथा बकरा की बलि चढ़ाकर करो। तुम्हारा कल्याण होगा। उसी दिन से इस पेड़ की पूजा-अर्चना प्रारंभ हो गयी जो आज तक कायम है।
स्थानीय श्रद्धालु इस अद्भुत पेड़ की ’भवानी माँ‘ की तरह पूजा करते हैं। प्रसाद के रूप में मरूआ का पिठ्ठा तथा पाठी (बकरी के बच्चे की बलि) चढ़ायी जाती है। दशहरा के अवसर पर सप्तमी के दिन इस स्थान पर काफी भीड़ रहती है। अनेक प्रान्तों के श्रद्धालु आकर इस पेड़ की पूजा अर्चना करते हैं तथा निर्धारित प्रसाद चढ़ाते हैं। इस वृक्ष को एक शक्तिपीठ के रूप में पूजा जाता है।
इस पेड़ के समक्ष उपस्थित होकर जो ंभी श्रद्धालु याचना करता है, उसकी मनोकामना अवश्य ही पूरी होती है। इसके विपरीत जो कोई पेड़ के साथ छेड़खानी करता है वह वहीं खून की उल्टियां करके दम तोड़ देता है या फिर विकलांग होकर जीवन भर कष्ट भोगता है।
स्थानीय लोग बताते हैं कि एक बार एक अंग्रेज अधिकारी ने इस पेड़ को काटने के लिए मजदूरों को कहा किन्तु मजदूरों ने ऐसा करने से मना कर दिया। मजदूरों के मना करने पर वह अधिकारी स्वयं कुल्हाड़ी लेकर पेड़ काटने के लिए तैयार हो गया। उसने जैसे ही कुल्हाड़ी से उस पेड़ की जड़ पर प्रहार किया, वह जमीन पर गिरकर छटपटाने लगा और थोड़ी देर में ही उसने दम तोड़ दिया। वृक्ष के कटे हुए भाग से खून की धारा बहने लगी।
इस पेड़ के निकट से रेलवे लाईन गुजरती है। यहां लाइन टेढ़ी हो गयी है। रेलवे अधिकारियों ने इस वृक्ष की महिमा को जान लेने के बाद इस पेड़ को काटने का जोखम नहीं उठाया और मुजफ्फरनगर-हाजीपुर रेलवे लाइन को उस पेड़ के निकट मोड़ दिया। यह पेड़ रेलवे लाइन के ठीक सामने आ रहा था, जिसे काटना अति आवश्यक था। साथ ही इस पेड़ को रेलवे ने अपने क्षेत्राधिकार से भी मुक्त कर दिया है।
यह विचित्रा पेड़ हाजीपुर- मुजफ्फरपुर के बीच वैशाली जिले के विठौली नामक गांव के निकट रेलवे गुमटी से सटा खड़ा है। इस पेड़ की लम्बाई लगभग दस फीट तथा इसकी परिधि करीब पांच फीट है। एक पेड़ से ही दूसरा पेड़ भी निकल गया है। देखने से लगता है कि पास-पास दो पेड़ खड़े हैं किन्तु ऐसा है नहीं।
इस पेड़ की पत्तियाँ नींबू की तरह छोटी-छोटी हैं। उजले मोती के समान छोटे-छोटे फूल अपनी सुगन्ध से आसपास के वातावरण को सुगन्धित बनाये रखते हैं।
’ट्राइटन एटम‘ नामक फूल दुनिया का सबसे दुर्लभ फूल है। नीले रंग के पांच फुट लंबे इस फूल के लगभग दस फुट ऊंचे पौधे का जीवनकाल एक हजार वर्ष तक का होता है। यह पौधा प्रत्येक सौ वर्ष में एक ही बार फूल देता है। सुमात्रा द्वीप पर पाये जाने वाले इस दैत्याकार फूल से सड़े हुए मांस जैसी दुर्गन्ध निकलती है। इस फूल की दुर्गन्ध से छोटे-छोटे जीव जन्तुओं के अलावा पशु-पक्षी एवं कमजोर हृदय वाले व्यक्ति बेहोश हो जाते हैं। अटलांटा के वनस्पति उद्यान में पाया जाने वाला यह फूल ’एयरोफोफालस ट्राइटेनम ऑफ सुमात्रा‘ के नाम से प्रसिद्ध है।
ऐसे अनेक वृक्ष इस संसार में मौजूद हैं जो अपने अन्दर अनेक रहस्यों को समेटकर रखे हुए हैं। आवश्यकता है इन वृक्षों से संबंधित शोध की। वृक्षों की पूजा-अर्चना से चमत्कार क्यों होता तथा उसकी डालियों को नुकसान पहुंचाने से नुकसान पहुंचाने वालों की क्षति क्यों होती है? साथ ही कटी वृक्ष की डाली से रक्त की धारा कहां से बहने लगती है?
ये भी पढ़े: घरेलू नुस्खे नहीं आपके वजन को कंट्रोल करने के लिए राम बाण है ये उपाय
Copyright © 2016-24. All rights reserved. Powered by Dilersamachar