दिलेर समाचार, नई दिल्ली. अमेरिका के केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व ने ब्याज दरों में कर दी है. यह ऐलान दो दिन की बैठक के बाद बुधवार को किया गया. ब्याज दरों में 50 बेसिस पॉइंट की कमी की गई है. मार्च 2020 के बाद पहली बार इंटरेस्ट रेट घटाया गया है. अब ब्याज दर 4.75% से 5% के बीच रहेंगी. इससे पहले मार्च 2020 में फेड ने इंटरेस्ट रेट्स में कटौती की थी. अमेरिका में बढती महंगाई पर काबू पाने के लिए अमेरिका के केंद्रीय बैंक ने मार्च 2022 से जुलाई 2023 के बीच 11 बार ब्याज दरों में वृद्धि की थी. पिछली तीन बैठकों ने फेड ने ब्याज दरें अपरिवर्तित रखी थीं और यह संकेत भी दिया था कि साल 2024 में ब्याज दरों में वह कटौती कर सकता है.
शेयर मार्केट एनालिस्ट्स का मानना है कि इंटरेस्ट रेट्स में कटौती होने से भारत सहित दुनिया भर के शेयर बाजारों में तेजी आ सकती है. फेडरल रिजर्व के ब्याज दरों में कटौती का सीधा मतलब है कि अमेरिका में सरकारी बॉन्डों पर भी ब्याज दरों में कमी आएगी. ऐसा होने पर निवेशक अपना पैसा बॉन्ड में लगाने की बजाय शेयर बाजार में लगाना पसंद करेंगे. ब्याज दरें कम होने से भारतीय शेयर मार्केट में विदेशी निवेश बढ़ सकता है, जिससे मार्केट में तेजी आ सकती है. इसके अलावा इससे दूसरे देशों के केंद्रीय बैंकों पर भी ब्याज दरों में कटौती करने का दबाव बढेगा. यानी भारत में भी आने वाले समय में रिजर्व बैंक द्वारा रेपो रेट में कमी करने की संभावना अब बढ गई है.
मनीकंट्रोल की एक रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिकी फेडरल रिजर्व के ब्याज दरों में कटौती के बाद अब भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के रुख पर सबकी निगाहें होंगी. हालांकि, SBI के चेयरमैन सीएस शेट्टी का मानना है कि फूड इनफ्लेशन पर अनिश्चितता के चलते पॉलिसी रेट में कटौती की संभावना नहीं दिख रही है. आरबीआई ने 8 बार से रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया है. इससे पहले, आखिरी बार फरवरी 2023 में इसे बढ़ाकर 6.5 फीसदी किया गया था. इससे पहले, कोरोना महामारी के दौरान 27 मार्च 2020 को इसे 5.15 फीसदी से घटाकर 4.40 फीसदी और फिर 22 मई 2020 को 4 फीसदी किया गया था.
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