दिलेर समाचार, नई दिल्ली : साल 2002 में गुजरात दंगों (2002 Gujarat riots) के दौरान हिंसा से निपटने के लिए बुलाई गई सेना की टुकड़ी का नेतृत्व करने वाले रिटायर्ड लेफ़्टिनेंट जनरल ज़मीरुद्दीन शाह (Lieutenant General Zameer Uddin Shah) ने चौंकाने वाला खुलासा किया है. अलीगढ़ मुस्लिम युनिवर्सिटी के कुलपति रहे ज़मीरुद्दीन शाह ने अपनी किताब 'द सरकारी मुसलमान' में लिखा है कि 2002 के गुजरात दंगों के दौरान अहमदाबाद पहुंची सेना को दंगा प्रभावित इलाक़ों में जाने के लिए पूरे एक दिन का इंतज़ार करना पड़ा, अगर उन्हें ट्रांसपोर्ट की सुविधा तुरंत मिल जाती तो सेना कुछ और जानें बचा पाती. ज़मीरुद्दीन शाह के मुताबिक 1 मार्च की सुबह 7 बजे सेना के 3000 जवान अहमदाबाद पहुंच गए, लेकिन राज्य सरकार से उन्हें समय पर ट्रांसपोर्ट और अन्य सुविधा नहीं मिल सकी.
रिटायर्ड लेफ़्टिनेंट जनरल ज़मीरुद्दीन शाह ने अपनी किताब में लिखा है, 1 मार्च को देर रात 2 बजे मैं गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के घर पहुंचा. वहां तत्कालीन रक्षा मंत्री जॉर्ज फर्नांडीस को देखकर थोड़ी राहत मिली. वे दोनों लोग डिनर कर रहे थे और मुझे भी ऑफर किया. मैं डिनर कर तुरंत वहां से निकल आया. मेरे पास गुजरात का एक टूरिस्ट मैप था और उन जगहों की जानकारी जुटाई, जहां हालात ज्यादा खराब थे. मैंने अधिकारियों को उन सामान की लिस्ट भी दी, जिसकी सेना को तत्काल जरूरत थी. मैं वापस लौट आया और सुबह 7 बजे तक 3000 जवान पहुंच गए थे, लेकिन ट्रांसपोर्ट की कोई व्यवस्था नहीं थी. ऐसे वक्त में जब जवान कुछ जानें बचा सकते थे, मजबूरी में वे कुछ नहीं कर सके. अगले दिन हमें जरूरत की चीजें मिलीं. तब तक सड़क के रास्ते हमारे और जवान भी आ गए थे.
ज़मीरुद्दीन शाह ने अपनी किताब में केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी पर गंभीर आरोप लगाए हैं. उन्होंने लिखा है कि अलीगढ़ मुस्लिम युनिवर्सिटी का कुलपति रहते तत्कालीन मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने उन्हें नीचा दिखाने की कोशिश की थी.
ये भी पढ़े: घर को लूटने आए थे लुटेरे, CCTV देखा तो करने लगे डांस...
Copyright © 2016-24. All rights reserved. Powered by Dilersamachar