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जल और उपवास: अच्छी सेहत के राज

Posted at: Nov 11 , 2017 by Dilersamachar 9797

दिलेर समाचार, शरीर में  70 प्रतिशत पानी होता है जो पसीने तथा मल-मूत्रा के रूप में निकलता रहता है। शरीर में जल का संतुलन बनाए रखने के लिए पानी पीना अति आवश्यक होता है। पानी का हमारे पेट को साफ रखने में महत्त्वपूर्ण रोल है।

- जल हमेशा स्वच्छ पियें। कभी भी लेटकर या खड़े होकर पानी का सेवन न करें।

- ग्रीष्म ऋतु मंे खूब जल का सेवन करें क्योंकि ग्रीष्म ऋतु में जल पसीने के रूप में अधिक बाहर निकलता है। सर्दी में आवश्यकता अनुसार पानी पिएं और बरसात में पानी का सेवन कुछ कम करें।

- मधुमेह रोगी अधिक पानी पिएं क्योंकि शरीर के भीतर एकत्रित शक्कर पसीने और पेशाब के रास्ते से बाहर निकलती है।

- पीलिया रोगियों को भी दिन में बारह से पंद्रह गिलास पानी पीना चाहिए जिससे पेशाब के रास्ते से शरीर का गंद बाहर निकलता रहे।

- भरपेट पानी पीने के एकदम बाद भोजन नहीं करना चाहिए।

- मोटे लोगों को पानी काफी मात्रा में पीना चाहिए। पानी मोटापा कम करने में सहायक होता है। खूब सारा पानी पीने से गुर्दे की सफाई होती रहती है जिससे मूत्रा संबंधी रोग और यूरिन इन्फेक्शन नहीं होता।

- शरीर के दूषित पदार्थो को निकालने के लिए मूत्रा ही प्रकृति का एक मुख्य द्वार है, इसलिए पानी का अधिक सेवन करने से शरीर के विष उस रास्ते से मूत्रा के रूप में बाहर निकलते रहते हैं।

- जब शरीर थक जाता है तो आराम की आवश्यकता होती है। इसी प्रकार पेट को भी आराम की आवश्यकता होती है। यह आराम पेट को हम उपवास रखकर दे सकते हैं। उपवास रखने के बाद आंतों की शक्ति बढ़ती है।

इसी प्रकार उपवासों में नींबू के रस के साथ पानी ग्रहण करते रहना चाहिए जिससे शरीर के विष घुलते रहें।

उपवास तोड़ने के समय गरिष्ठ भोजन न लें। इससे पेट की आंतडि़यों को आराम की जगह तकलीफ होगी। ऐसे में कुछ तरल पदार्थ लें जैसे पानी, दूध या जूस आदि। 

ये भी पढ़े: ऐसा भोजन जो आपकी खूबसूरती को बना सकता है और भी ज्यादा खूबसूरत

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