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September 23 2023 10:34 AM

जब बजने लगी विदेश मंत्री जयशंकर के लिए तालियां

Posted at: May 17 , 2023 by Dilersamachar 9167

दिलेर समाचार, स्टॉकहोम. विदेश मंत्री एस जयशंकर ने यहां भारतीय समुदाय के साथ बातचीत के दौरान ‘भारतीय संस्कृति के वैश्वीकरण’ पर पूछे गये एक सवाल का जवाब देते हुए हिंदी के मुहावरे, ‘आपके मुंह में घी-शक्कर’ का उपयोग किया, जिसके बाद लोगों के चेहरे पर मुस्कुराहट आ गई. जयशंकर यूरोपीय संघ हिंद-प्रशांत मंत्रालयी मंच की बैठक में भाग लेने के लिए स्वीडन की तीन दिवसीय यात्रा पर यहां आये हैं.

उन्होंने रविवार शाम स्वीडन में भारतीय समुदाय के लोगों से बातचीत की और द्विपक्षीय संबंधों में आई प्रगति से उन्हें अवगत कराया. मंत्री ने भारत में जारी परिवर्तन और प्रवासी भारतीयों के लिए वहां सृजित किये गये अवसरों को रेखांकित किया.

यह पूछे जाने पर कि वैश्वीकरण के इस युग में क्या पश्चिम ने ‘हैमबर्गर’ के बजाय पानी पूरी खाना शुरू कर दिया है और क्या अब ‘शर्ट’ पर न्यूयॉर्क के बजाय नई दिल्ली छपेगा, उन्होंने कहा, “एक शब्दावली है, जिसे ‘आपके मुंह में घी-शक्कर’ कहा जाता है. इस पर लोगों के चेहरे पर मुस्कुराहट आ गई और उन्होंने तालियां बजाईं.”

जयशंकर यूरोपीय संघ हिंद-प्रशांत मंत्रिस्तरीय मंच (ईआईपीएमएफ) में शामिल होने के लिए स्वीडन के तीन दिवसीय दौरे पर आए थे. विदेश मंत्री ने रविवार शाम को कहा, ‘स्वीडन का ईयू के सदस्य, एक नॉर्डिक साझेदार और एक साथी बहुपक्षवादी देश के रूप में महत्व है. हमने भारत में जारी उन बदलावों के बारे में बात की, जो हमारी वैश्विक उपस्थिति को बढ़ाते हैं और विदेशों में भारतीयों के लिए अवसर पैदा करते हैं.’

इससे पहले जयशंकर ने स्वीडन के अपने समकक्ष टोबियास बिलस्ट्रॉम के साथ रविवार को यहां व्यापक चर्चा की. इस दौरान हिंद-प्रशांत, यूरोप की सामरिक स्थिति तथा वैश्विक अर्थव्यवस्था को जोखिम मुक्त करने पर विचारों का आदान-प्रदान किया गया. विदेश मंत्री के तौर पर जयशंकर की यह पहली स्वीडन यात्रा थी. जयशंकर ने ऐसे समय में यह यात्रा की, जब भारत और स्वीडन अपने राजनयिक संबंधों की स्थापना के 75 साल पूरे कर रहे हैं. स्वीडन वर्तमान में ईयू परिषद की अध्यक्षता कर रहा है.

जयशंकर ने स्वीडन के रक्षा मंत्री पॉल जॉनसन से भी मुलाकात की और दोनों नेताओं ने क्षेत्रीय एवं वैश्विक सुरक्षा पर विचारों का आदान-प्रदान किया. विदेश मंत्री ने शनिवार को ईआईपीएमएफ को संबोधित किया और भारत और यूरोपीय संघ के बीच ऐसे ‘नियमित, समग्र और स्पष्ट संवाद’ का आह्वान किया, जो केवल आज के संकट तक ही सीमित न हो. उन्होंने कहा, ‘वैश्वीकरण हमारे दौर की एक वास्तविकता है। दूरदराज के क्षेत्र और देश दुनिया में कहीं भी होने वाली महत्वपूर्ण घटनाओं से हम अछूते नहीं रह सकते. न ही हम उन्हें अपनी सुविधा के अनुसार चुन सकते हैं.’

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