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जिसका दबदबा है, वही शोषण कर रहा है - इरफान खान

Posted at: Nov 16 , 2017 by Dilersamachar 9706

दिलेर समाचार, इरफान खान ने कैरियर की शुरूआत, बेहद छोटे किरदारों से करते हुए शानदार काम की वजह से बड़े कलाकार की हैसियत प्राप्त की। इरफान ने पलट कर बीते समय में झांकने की कभी कोशिश नहीं की। उनका ध्यान हमेशा वर्तमान पर ही रहा।  अच्छे सिनेमा के लिए उनका क्या और किस तरह का योगदान हो सकता है, उनका सारा ध्यान सिर्फ इसी पर केन्द्रित रहा।

इरफान खान कभी भी दर्शकों और अपने फैन्स को सरप्राइज करने का अवसर खाली नहीं जाने देते। वो अब तक, कॉमेडी, सोशल, रोमांटिक और गंभीर सभी तरह की फिल्मों में जबर्दस्त एक्टिंग का लोहा मनवा चुके हैं।

इरफान खान के अभिनय से सजी, तनुजा चन्द्रा द्वारा निर्देशित ’करीब करीब सिंगल’ एक रोमांटिक फिल्म है। इसमें वे एक ऐसी महिला से शादी करते हैं जो न सिर्फ उम्र में उनसे काफी छोटी है बल्कि उनकी बेटी की फ्रेंड है । उस किरदार को मलयालम एक्ट्रेस पार्वती ने निभाया है।

इरफान खान जिनका, अपने अभिनय में अविश्वसनीय होना संभव ही नहीं है, हमेशा की तरह वो ’करीब करीब सिंगल’ में भी स्वाभाविक नजर आते हैं। इरफान खान अपने जिस संजीदा अभिनय के लिए खासे मशहूर रहे हैं, उसका प्रदर्शन उन्होंने यहां भी किया है।

निर्माता दिनेश विजन और निर्देशक साकेत चौधरी की ’हिंदी मीडियम’ में इरफान खान ने एक छोटी बच्ची के पिता का किरदार निभाया था। ’हिंदी मीडियम’ महज 23 करोड़ में बनी और इसने लागत से लगभग तीन गुना कारोबार किया ।

’स्पाइडर मेन’, ’जुरासिस पार्क’ और ’इनफर्नाे’ जैसी हॉलीवुड फिल्में कर चुके इरफान खान ने हाल ही में अपनी एक और हॉलीवुड फिल्म ’पजल’ की शूटिंग पूरी की है। अब वो रानी स्क्रूवाला की ’कारवां’ कर रहे हैं। इसके अलावा वो संजय लीला भंसाली की ’गुस्ताखियां में इरफान साहिर और प्रियंका अमृता का रोल निभाएंगे। निर्देशक जस्मीत नीन की, यह डेब्यू फिल्म होगी। यहां प्रस्तुत हैं इरफान खान के साथ बातचीत के मुख्य अंशः

अपनी आने वाली फिल्म ’सपना दीदी’ के बारे में कुछ बतायें ?

सबसे पहले तो यह कि इस फिल्म का टायटल अभी फायनल नहीं हुआ है। विशाल भारद्वाज की इस फिल्म को हनी त्रोहान डायरेक्ट कर रहे हैं। यह लेडी माफिया डॉन रहीमा खान उर्फ सपना दीदी की कहानी पर आधारित है। इस किरदार को दीपिका निभाएंगी। मैं इसमें एक स्थानीय गैंगस्टर का किरदार निभा रहा हूं। इसकी शूटिंग जनवरी से शुरू होगी।

दीपिका के साथ आप ’पीकू’ कर चुके हैं और अब यह फिल्म करेंगे। सोचकर कैसा महसूस हो रहा है?

दीपिका सुपर स्टार और एक बेहतरीन एक्ट्रेस का सबसे शानदार कांबिनेशन हैं। ऐसा बहुत कम होता है कि बेहद खूबसूरत, बेहद उम्दा कलाकार और सुपर स्टार, ये तमाम खूबियां एक साथ मिल जाएं लेकिन दीपिका इसकी बेहतरीन मिसाल हैं। 

पिछले साल आपकी ’मदारी’ बिलकुल नहीं चली। आपके प्रशंसकों को भी वह पसंद नहीं आई। क्या उसे करना भूल मानते हैं ?

’मदारी’ मैंने काफी सोच विचार के बाद साइन की थी, इसलिए उसे मैं भूल तो कतई नहीं कहूंगा।  यह भी सच नहीं है कि लोगों ने उसे पसंद नहीं किया। यदि कोई फिल्म हिट नहीं होती तो इसका मतलब यह बिलकुल नहीं है कि वह एक खराब फिल्म थी। यदि फिल्में हिट नहीं होतीं, इसका मतलब यह भी नहीं कि हम फिल्मों में काम करना बंद कर दें। यह तो चलता ही रहता है। दस नाकामियों के बाद मिली एक कामयाबी भी इंसान को जिलाये रखती है।

बॉलीवुड में जो यह कंपटीशन का दौर है, उसे आप किस रूप में देखते हैं ?

यहां पर बिलकुल कंपटीशन नहीं है। हर साल यहां लगभग 180 फिल्में बनती हैं। इतनी फिल्मों के लिए हमारे पास पर्याप्त हीरो-हीरोइंस भी नहीं हैं। यहां बहुत ज्यादा काम होता है, जिसकी वजह सें नए लोगों के लिए यहां हर वक्त काफी गुंजाइश बनी रहती है।

आप अपनी मौजूद स्थिति से कितने संतुष्ट हैं ?

मैं अपनी मौजूदा स्थिति से कभी बहुत ज्यादा संतुष्ट नहीं होता क्योंकि संतुष्ट होकर बैठ जाने से हमेशा नुक्सान ही होता है। अपने कैरियर में इस तरह की भूल मैं पहले दो बार कर चुका हूं जिसका नतीजा भी भुगत चुका हूं। इसलिए अब कभी इस तरह की भूल नहीं करूंगा।

आज किसी भी फिल्म की रिलीज के चार-छह महीने पहले से उसका प्रमोशन का काम शुरू हो जाता है लेकिन आप कभी इसके लिए 8-10 दिन से ज्यादा वक्त नहीं देते ?

मैं अपने प्रोडक्शन की फिल्मों में बिजी होने के कारण चाहते हुए भी अपनी फिल्मों के प्रचार के लिए ज्यादा वक्त नहीं दे पाता लेकिन चाहता हूं कि इसके लिए मैं भी दूसरे एक्टर्स जितना वक्त दे सकूं।  

अवार्डस की दौड़ में भी आप कम ही रहते हैं ?

मेरे दर्शक इतने सालों बाद भी मुझे उसी तरह प्यार करते हैं, मेरी फिल्में देखने के लिए थियेटर तक  आते हैं, इसलिए मेरे लिए सबसे बड़ा अवार्ड मेरे दर्शक ही हैं। अवार्ड शोज का बाकी सच आप भी जानते हैं और मेरे ख्याल से हर कोई जानता है। 

आप हॉलीवुड की फिल्में भी कर चुके हैं। वहां की तुलना में आपको यहां क्या अंतर नजर आता है ?

हॉलीवुड और बॉलीवुड में बड़ा अंतर है। यहां के लोग, समाज, लोगों का स्नेह, वहां से बिलकुल अलग है। यहां राह चलते से भी आप किसी के साथ बात कर सकते हो जबकि वहां ऐसा नहीं है। वहां सारी चीजें काफी सिस्टमेटिक हैं।

जब हमारी ऑडियंस इंटरनेशनल सिनेमा देखती थी, तब अक्सर उनके दिल में ख्याल आता था कि हमारे यहां इस तरह का सिनेमा क्यों नहीं बनता ?

बिलकुल आता होगा लेकिन इसकी सिर्फ एक ही वजह हो सकती है कि हम हमेशा सपनों की दुनिया की बात करते हैं। हम हिंदुस्तानियों को सपनों से बेइंतहा प्यार होता है। हम अपने सपनों से अलग कुछ देखना नहीं चाहते लेकिन अब सारी कसर पूरी हो रही है। 70 के पहले जैसा सिनेमा बनता था, धीरे धीरे वह दौर लौट रहा है। लोग उस तरह के सिनेमा को देख रहे हैं इस दौर में उस तरह की तमाम फिल्में हिट हो रही हैं।

क्या कभी फिल्म कलाकार होने की कीमत अदा करनी पड़ी ?

लाइम लाइट में रहने वाली इंसान होने के नाते लोग हमेशा आपको देखते और ऑब्जर्व करते हैं, तब अचानक आपको ज्यादा जिम्मेदारी का अहसास भी होता है और तब आप ऐसा कुछ भी काम करने से बचते हैं जिससे किसी तरह का गलत मैसेज जाता हो।

समाज में हर क्षेत्रा में होने वाले शोषण को लेकर आपकी क्या राय है?

समाज में सिर्फ महिलाओं का ही नहीं बल्कि पुरूषों का भी शोषण हो रहा है। समाज में जो जहां दबा हुआ रहता है, वहां उसका शोषण होता है। जिसका जरा सा भी दबदबा है, वह शोषण करता है। बहुत कम देश हैं जहां शोषण नहीं होता । शोषण हर क्षेत्रा में होता है। यह सिर्फ फिल्म लाइन तक सीमित नहीं है। समाज में जब तक सैक्सुअली दबाव रहेगा, इंसान उसका लाभ इसी तरह उठाता रहेगा। 

ये भी पढ़े: हादसे के पीछे गैर जिम्मेदाराना हिमाकत

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