दिलेर समाचार,झारखंड भाजपा के तमाम लोग अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष के तेवर नहीं भांप पाये। अपने तीन दिनों के प्रवास के दौरान वह लगातार कार्यकर्ताओं के संपर्क में रहे।इस दौरान उन्होंने गंभीर किस्म की शिकायतों को प्रारंभ में ही रोक दिया।वैसे इसके बीच भी वह सरकार और संगठन के बीच की दूरी को सुनते ही रहे।लेकिन अपने भाषणों से उन्होंने कई संकेत ऐसे दिये, जिसे न तो नेता और न कार्यकर्ता सही तरीके से समझ पाये।
उनके दौरे में खास बात यह रही कि दो सांसदों को उन्होंने पहचानने तक से इंकार कर दिया।इन दोनों को बाद में खुद ही अपनी पहचान बतानी पड़ी।इससे यह स्पष्ट हो गया कि दोनों ही सांसद दिल्ली में पार्टी नेतृत्व के लगातार संपर्क में नहीं थे।इस बीच विधायक फंड बढ़ाने की बात को उन्होंने बीच में ही काट दिया।
सूत्रों की मानें तो उन्होंने विधायक फंड को बंद करने की बात भी मुख्यमंत्री से कही है।पार्टी के पदाधिकारियों के साथ लगातार मिलने जुलने के क्रम में पार्टी अध्यक्ष का मुख्य ध्यान पार्टी को चंगा करने का रहा।इसके माध्यम से वह सुस्त पड़ रहे संगठन को नये सिरे से जगाने में पूरी तरह सफल रहे।दूसरी तरफ संघ के लोगों के साथ भी सरकार के बिगड़े रिश्ते को सुधारने में उनकी पहल कारगर रही।जहां से यह बात छनकर आयी है
कि पार्टी की केंद्रीय कमेटी में होने वाले बदलाव के बाद वह इस पर अवश्य ध्यान देंगे।श्री शाह के रांची दौरे के पूर्व मंत्रिमंडल में फेरबदल की चर्चा जोरों पर थी।मुख्यमंत्री खेमा के लोग एक खास मंत्री को हटाये जाने की बात प्रचारित कर रहे थे।हरमू मैदान के कार्यक्रम में श्री शाह ने स्पष्ट कर दिया कि यह चर्चा महज अफवाह के अलावा कुछ नहीं,क्योंकि उन्होंने संबंधित मंत्री को नाम लेकर न सिर्फ संबोधित किया, बल्कि उचित सम्मान भी दिया।
इस पूरे दौरे का असली बदलाव सिर्फ पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा को सम्मान दिया जाना रहा। इस दौरान कई बार दोनों के बीच एकांत में चर्चा भी होने की खबर है।दूसरी तरफ राज्य की एक प्रभावशाली अधिकारी की पार्टी अध्यक्ष पर पकड़ की बात भी अब कमजोर पड़ती नजर आ रही है।इसका ज्वलंत प्रमाण बिरसा मुंडा के गांव में उपस्थित सभी लोगों ने देखा।जहां उक्त अधिकारी के नहीं चाहने के बाद भी श्री शाह एक चिकित्सा शिविर में शामिल हुए।
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