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अविवाहित लोगों के लिए जीवन इतना आसान क्यों नहीं

Posted at: Nov 17 , 2017 by Dilersamachar 9811

दिलेर समाचार, रूपा मिश्राः यदि देखा जाए तो शायद ही कोई ऐसी युवती हो जो विवाह न करना चाहे। हर युवती बचपन से ही अपने विवाह तथा किसी न किसी राजकुमार के सपने देखती है परंतु वर्तमान में हमारे समाज में जो हालात उत्पन्न हो गए हैं उन्हें देखते हुए युवतियों द्वारा शादी न करने का निर्णय लेना तथा स्वयं के पैरों पर खड़े होना एक अच्छी बात है परंतु हमारे समाज ने पहले भी अच्छी बातें कब स्वीकार की हैं जो आज स्वीकार करेगा।

वैसे तो ज्यादातर वे ही युवतियां अविवाहित रहती हैं जिनके सामने कोई न कोई मजबूरी होती है जैसे किसी के पिता की मृत्यु हो गई हो और उन्हें घर की सभी जिम्मेदारियां संभालनी पड़ी हों, या फिर माता-पिता द्वारा दहेज न दे पाना। कुछ अविवाहित युवतियां ऐसी भी होती हैं जो पुरूषों द्वारा महिलाओं पर होने वाले अत्याचारों के कारण शादी से घृणा करने लगती हैं तथा कुछ दहेज प्रताड़ना के डर से शादी न करके स्वयं के पैरों पर खड़े होना ज्यादा अच्छा समझती हैं।

अधिकांशतः अविवाहित रहने वाली युवतियों को अपने परिवार का पूर्ण सहयोग प्राप्त होता है तथा उनके परिवारजन उन्हें बोझ नहीं मानते मगर अन्य लोग इन युवतियों का अविवाहित रहना स्वीकार नहीं कर पाते तथा उनके माता-पिता पर हमेशा ही तरह-तरह के प्रश्नों की बौछार करते रहते हैं जैसे कि आपकी पुत्राी तो अब बहुत बड़ी हो गई है, इसकी शादी कब कर रहे हैं। पुत्राी तो पराया धन होती है। इसे कब तक घर में बिठा कर रखेंगे, कहीं इसके कदम न फिसल जाएं आदि।

इस तरह के अनेक प्रश्नों की बौछार करके उस युवती के माता पिता को उसकी शादी करने के लिए मजबूर कर देते हैं चाहे फिर ससुराल में दहेज पूर्ति न होने से उसे मौत के घाट ही क्यों न उतार दिया जाए।

कुछ ऐसे भी व्यक्ति हैं जो सीधे युवतियों से ही तरह-तरह के प्रश्न करते हैं कि तुम्हारी सभी सहेलियों की तो शादी हो चुकी है। अब तुम कब कर रही हो। तुम्हारे माता पिता को भी तुम्हारी बढ़ती उम्र के कारण चिंता तो होती ही होगी और इस तरह के प्रश्न वे तब तक उस युवती से करते रहते हैं जब तक उस युवती का फूल सा खिला चेहरा मुरझा न जाए।

अविवाहित युवतियों के बारे में चटकारे ले कर गलत अफवाहें फैलाने में भी ये लोग पीछे नहीं रहते हैं। महिलाएं तो इस कार्य में कुछ ज्यादा ही आगे रहती हैं।

हमारा समाज रूढि़वादिता से पूरी तरह मुक्त तो तभी होगा जब वह अपनी मानसिक विचारधारा में परिवर्तन लाएगा तथा यह समझ सकेगा कि कोई भी युवती अपनी खुशी से अविवाहित नहीं रहती है वरन् अपनी परिस्थितियों तथा हालातों के कारण वह अविवाहित है। यदि उस युवती के स्थान पर वह सोचे कि उसकी पुत्राी होती तो वह क्या करती। तब उसके मानसिक विचारों में स्वयं ही परिवर्तन आएगा तथा उस समय हम पूर्ण रूप से रूढि़वादिता का त्याग करके आधुनिक बन सकेंगे, कहला सकेंगे। 

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