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विष्णु के पैर क्यों दबाती हैं लक्ष्मी, जानें ग्रहों के रहस्य की बड़ी बात

Posted at: Jun 6 , 2018 by Dilersamachar 9881

दिलेर समाचार, लक्ष्मी प्राप्ति की इच्छा हर किसी को होती है। लक्ष्मी कृपा के लिए भगवान विष्णु की कृपा पाना अत्यन्त अवश्यक है क्योंकि लक्ष्मी उन्हीं के चरणों में रहती हैं। शास्त्रों में या भगवान विष्णु के किसी भी तस्वीर को देखें, आप पाएंगे कि मां लक्ष्मी सदैव उनके चरणों में बैठी उनके चरण दबाती ही दिखती हैं।

इस बारे में एक पौराणिक कहानी है कि देवर्षि नारद ने एक बार धन की देवी लक्ष्मी से पूछा कि आप हमेशा श्री हरि विष्णु के चरण क्यों दबाती रहती हैं? इस पर लक्ष्मी जी ने कहा कि ग्रहों के प्रभाव से कोई अछूता नहीं रहता, वह चाहे मनुष्य हो या फिर देवी-देवता।

महिला के हाथ में देवगुरु बृहस्पति वास करते हैं और पुरुष के पैरों में दैत्यगुरु शुक्राचार्य। जब महिला पुरुष के चरण दबाती है, तो देव और दानव के मिलन से धनलाभ का योग बनता है। इसलिए मैं हमेशा अपने स्वामी के चरण दबाती हूं।

भगवान विष्णु ने उन्हें अपने पुरुषार्थ के बल पर ही वश में कर रखा है। लक्ष्मी उन्हीं के वश में रहती है जो हमेशा सभी के कल्याण का भाव रखता हैं। विष्णु के पास जो लक्ष्मी हैं वह धन और सम्पत्ति है। भगवान श्री हरि उसका उचित उपयोग जानते हैं। इसी वजह से महालक्ष्मी श्री विष्णु के पैरों में उनकी दासी बन कर रहती हैं।

वहीं एक अन्य पौराणिक कथा के अनुसार, अलक्ष्मी अपनी बहन लक्ष्मी से बेहद ईर्ष्या रखती हैं। वह बिल्कुल भी आकर्षक नहीं हैं, उनकी आंखें भड़कीली, बाल फैले हुए और बड़े-बड़े दांत हैं। यहां तक कि जब भी देवी लक्ष्मी अपने पति के साथ होती हैं, अलक्ष्मी वहां भी उन दोनों के साथ पहुंच जाती थीं।

अपनी बहन का ये बर्ताव देवी लक्ष्मी को बिल्कुल पसंद नहीं आया और उन्होंने अलक्ष्मी से कहा कि तुम मुझे और मेरे पति को अकेला क्यों नहीं छोड़ देती। इस पर अलक्ष्मी ने कहा कि कोई मेरी आराधना नहीं करता, मेरा पति भी नहीं है, इसलिए तुम जहां जाओगी, मैं तुम्हारे साथ रहूंगी।

इस पर देवी लक्ष्मी क्रोधित हो गईं और आवेग में उन्होंने अलक्ष्मी को श्राप दिया कि मृत्यु के देवता तुम्हारे पति हैं और जहां भी गंदगी, ईर्ष्या, लालच, आलस, रोष होगा, तुम वहीं रहोगी।

इस प्रकार भगवान विष्णु और अपने पति के चरणों में बैठकर माता लक्ष्मी उनके चरणों की गंदगी को दूर करती हैं, ताकि अलक्ष्मी उनके निकट न आ सकें। इस तरह वे पति को पराई स्त्री से दूर रखने की हर संभव कोशिश कर रही हैं।

 

माना जाता है सौभाग्य और दुर्भाग्य एक साथ चलते हैं। जब आपके ऊपर सौभाग्य की वर्षा होती है, तब दुर्भाग्य वहीं पास में खड़ा अपने लिए मौका तलाशता है। अलक्ष्मी भी कुछ इसी तरह घर के बाहर बैठकर लक्ष्मी के जाने का इंतजार करती हैं।

जहां भी गंदगी मौजूद होती है, वहां लालच, ईर्ष्या, पति-पत्नी के झगड़े, अश्लीलता, क्लेश और कलह का वातावरण बन जाता है। यह निशानी है कि घर में अलक्ष्मी का प्रवेश हो चुका है। अलक्ष्मी को दूर रखने और लक्ष्मी को आमंत्रित करने के लिए हिन्दू धर्म से जुड़े प्रत्येक घर में सफाई के साथ-साथ नित्य पूजा-पाठ किया जाता है ताकि घर के लोगों को नकारात्मक ऊर्जा से बचाया जा सके।

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