सीतेश कुमार द्विवेदी
दिलेर समाचार, एक्सरे ने चिकित्सकीय जांच में नई क्रांति ला दी है। इससे भीतरी अंगों की सही तस्वीर सामने आती है और चिकित्सकों को रोगों के निदान में आसानी होती है। चिकित्सा के क्षेत्रा में एक्सरे जैसी टेक्नालॉजी वाली अब अनेक जांच मशीनें आ गई हैं जो शरीर के भीतरी अंगों की जांच में काम आती हैं। ये हैं एक्सरे, सोनोग्राफी, अल्ट्रासाउण्ड, सी. टी. स्कैन, एम.आर.आई., कार्डियोग्राफी आदि।
इन जांच मशीनों की उपयोगिता एवं लोकप्रियता में दिन-प्रतिदिन वृद्धि हो रही है। चिकित्सक भी रोगों के निदान में सटीकता के लिए उसका सहारा लेते हैं और मरीज भी ऐसी जांच करने, कराने के लिए तत्पर रहते हैं। कई शंकालू मरीज डॉक्टर को स्वयं ऐसी जांच करा लूं क्या कहकर आदेश देने को प्रेरित करते हैं पर ऐसी सभी जांचों के पीछे छिपे खतरनाक तथ्य को डॉक्टर, मरीज एवं जांचकर्ता सभी नजरअंदाज कर देते हैं। इस तरह की बार-बार जांच एवं जांच के दौरान चेतावनी, सावधानी को महत्त्व नहीं देने की स्थिति में मरीज पर खतरनाक प्रभाव पड़ सकता है।
सभी टेक्नालॉजी उपयोगी हैं। सबके साथ उसके उपयोग के दौरान सावधानी बरतने की चेतावनी दी जाती है किन्तु हड़बड़ी में एवं व्यावसायिकता के चलते ज्यादा कमाने में सभी इसे उपेक्षित करते जाते हैं। यही मरीज को खतरनाक मुकाम तक ले जाता है और विषम परिस्थिति निर्मित कर देता है।
चिकित्सकीय जांच टेक्नालॉजी से डॉक्टर को मरीज के रोग-निदान में सहूलियत होती है। ऐसे जांच-निष्कर्ष से मरीज के रोगोपचार में सटीकता आती है। एक्सरे, सोनोग्राफी, अल्ट्रासाउण्ड, सी. टी. स्कैन, एम.आर.आई., कार्डियोग्राफी आदि सभी मशीनें किरणों की तीव्रता की अधिकता या इनकी बारम्बरता से मरीज के शरीर को नुकसान पहुंच सकता है।
ऐसी मशीनी जांच कक्षों के पास लोगों को जाने से वर्जित किया जाता है। बच्चों व गर्भवती महिलाओं को खास तौर पर वहां जाने से वर्जित किया जाता है। हर जगह कोताही बरती जाती है। इन जांच मशीनों से निकलने वाली किरणें अति तीव्रता व सघनता वाली होती है जिसका प्रभाव मरीज के अलावा जांच के दौरान उन कक्षों के आसपास रहने वालों पर भी पड़ सकता है।
यह समस्त शरीरांगों को प्रभावित करता है जिसका प्रभाव घटना के 20 से 30 वर्ष के उपरान्त भी दिख सकता है। इसका प्रभाव तत्कालिक न होकर दूरगामी एवं घातक होता है। ऐसी जांच मशीनें अस्पतालों के अलावा अन्यत्रा जांच केन्द्रों में होती हैं। इनकी मांग के चलते ऐसी मशीनें हर कस्बे व शहरों में मिल जाती हैं पर कहीं भी इसकी मानसिकता को त्वज्जो नहीं दी जाती है। सभी अधिकाधिक धनार्जन के फेर में चेतावनी को महत्त्वहीन कर देते हैं।
किरणों की तीव्रता व बारम्बरता का दुष्प्रभाव-
शरीर के कई अंगों की क्षमता में कमी आ जाती है।
हड्डी, फेफड़े, गुर्दे, पाचन, मस्तिष्क, हृदय, आंख, बाल, सिर, त्वचा विकृति, खून की कमी, असमय बुढ़ापे जैसी कुछ भी शिकायत आगे कभी भी हो सकती हैं।
किरणों की घातकता से बचाव के उपाय-
ऐसे मशीनों व कक्षों से दूर रहें।
जरूरत होने पर ही सुरक्षा उपाय के साथ जांच कराएं।
जांच कक्ष के पास तक बच्चे व गर्भवती महिलाएं न जाएं।
खान-पान के डॉक्टरी निर्देशों का पालन करें।
सभी रिपोर्ट संभालकर रखें।
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