दिलेर समाचार, नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश में प्रचंड बहुमत के साथ जीतकर आई बीजेपी को सरकार बनाए एक साल से ज्यादा का वक्त हो गया है. अब पार्टी के सामने सबसे बड़ी चुनौती है 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव. 2014 में 71 सीटें जीतने वाली बीजेपी को इन सीटों को बचाना है. इसका सारा दारोमदार सूबे के सीएम योगी आदित्यनाथ के कंधों पर है. लेकिन सपा और बसपा के साथ चुनाव लड़ने के ऐलान के बाद अब राज्य का सियासी अंकगणित बीजेपी के साथ जाता नहीं दिखाई दे रहा है. इसका नतीजा हम हाल ही में हुए उपचुनाव में देख चुके हैं. इसी बीच कई ऐसे मामले में सामने आए हैं जिनसे योगी सरकार की छवि पर गहरा असर पड़ा है.
1- उन्नाव रेप कांड में उठे सवाल
उन्नाव रेप कांड का मामला सामने आने के बाद जिस तरह से आरोपी विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को खुलेआम घूम रहे और पूरा प्रशासन उनके आगे नतमस्तक पड़ा रहा उससे कई सीएम योगी की मजबूत छवि पर सवाल उठे हैं. लोगों के बीच संदेश दिया गया कि सरकार खुद ही विधायक को बचाने में लगी रही है. पीड़िता की ओर से की गई मुख्यमंत्री से शिकायत भी पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की. लेकिन जब दबाव बढ़ा तो सीबीआई जांच की सिफारिश की गई लेकिन इसी बीच हाईकोर्ट ने भी राज्य में कानून व्यवस्था को लेकर सवाल उठा दिए. विधायक इस समय जेल में हैं और सीबीआई जांच जारी है. लेकिन यह काम काफी पहले हो जाना चाहिए था.
2-गोरखपुर और फूलपुर उपचुनाव
इन दोनों चुनाव में हार योगी सरकार के लिए बड़ा झटका था. बीजेपी योगी आदित्यनाथ के गढ़ गोरखपुर में ही चुनाव हार गई. फूलपुर की सीट डिप्टी सीएम केशव मौर्य की थी. वहां भी बीजेपी को हार का सामना करना पड़ गया. इस हार की चर्चा पूरे देश में होना लाजिमी था. गोरखपुर सीट पर करीब 27 साल बाद बीजेपी लोकसभा चुनाव हारी थी. बताया जा रहा है कि गोरखपुर उपचुनाव के लिए सीएम योगी के पसंद का उम्मीदवार नहीं उतारा गया था. वहीं इन नतीजों के बाद बीजेपी के अंदर भी खींचतान की खबरें आने लगीं. वहीं फूलपुर की सीट भी उप मुख्यमंत्री केशव मौर्य की थी और इस सीट पर भी हार हुई. केशव मौर्य आखिरी समय तक जीत का दावा करते रहे लेकिन नतीजा आया बिलकुल उल्टा.
3-कानून व्यवस्था पर सवाल
योगी सरकार के आने के बाद से एनकाउंटर तो खूब हुए लेकिन इन एनकाउंटरों पर सवाल भी उठने लगे हैं. कई जगहों पर पुलिस और अपराधियों की सांठगांठ की भी बात सामने आई है. जिससे पता चलता है कि जिन अपराधियों ने मामला मैनेज कर लिया है वह कानून की पहुंच से दूर हैं. झांसी से भी ऐसा ही एक मामला सामने आया है जिसमें पुलिस इंस्पेक्टर एक कुख्यात अपराधी से मिलकर मामला मैनेज करने की बात कह रहा है.
4-नौकरियों पर संकट
शिक्षा मित्रों और बीटीसी प्रशिक्षितों का मामला सुलझ नहीं रहा है. ज्यादातर नौकरियों के मामले कोर्ट में फंसे हुए हैं और अभ्यार्थी सड़कों पर प्रदर्शन कर रहे हैं.
5-दलित सांसदों और नेताओं की नाराजगी
भारत बंद के बाद हुई हिंसा के बाद हुई कार्रवाई से 2 दलित सांसदों ने पीएम मोदी को चिट्ठी लिख योगी सरकार की कार्यशैली पर सवाल उठाए हैं. वहीं योगी सरकार की कैबिनेट में शामिल भारतीय सुहैलदेव पार्टी के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर तो पूरी तरह से मोर्चा खोलकर बैठे हुए हैं.
6-बर्बाद हो रही हैं फसलें
चुनाव से पहले किसानों के मुद्दे को जोरशोर से उठाने वाली योगी सरकार से किसान बेहद परेशान हैं. उनको खाद भी समय से नहीं मिल रही है दूसरी ओर बूचड़खाने बंद होने से बैल और सांढ़ किसानों के खेतों में घुसकर फसल को बर्बाद कर रहे हैं. गोहत्या रोकने को लेकर सरकार की कोई साफ नीति नहीं है. इसका असर पशु क्रय-विक्रय पर भी पड़ा है. किसानों ने गोवंश जैसे बैल और सांढों को घर में पालकर खिलाने के बजाए खुला छोड़ दिया है जिनकी संख्या बढ़ती ही जा रही है. ये गांवों में एक बड़ा मुद्दा बनती जा रही है.
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