तिल धोकर ही खाने के काम में लेने चाहिए। कान- सात दिन में एक बार दोनों कानों में तीन-तीन बूंद तेल की डालें। इससे कान स्वस्थ रहेंगे। सुनने की शक्ति अच्छी रहेगी।
वात रोग- तिल का तेल की मालिश करने से वात रोग में लाभ होता है।
बिस्तर में पेशाब- तिल खाने या तिल से बनी गजक, रेवड़ी, लड्डू खाने से बच्चे बिस्तर में पेशाब करना बंद कर देते हैं।
अधिक पेशाब- दो बार तिल का लड्डू खाने से अधिक पेशाब आना बंद हो जाता है।
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