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आपके लिए वरदान से कम नहीं नींद न आना

Posted at: Mar 4 , 2018 by Dilersamachar 9805

विजय कुमार पाण्डेय

दिलेर समाचार, एक बार अकबर ने बीरबल से कहा कि ‘दुनियां में सबसे प्यारी चीज क्या है?‘ तो बीरबल ने उत्तर दिया था, ’नींद‘। यह सच है कि नींद केवल प्यारी चीज ही नहीं है बल्कि बहु-आवश्यक भी है।

लेकिन यह प्यारी-सी चीज नींद सबके हाथ लगती कहां है? भार-ही नहीं, पूरे संसार में ऐसे अनेक लोग मिल जायेंगे जो नींद के लिए तरसते हैं। सैंकड़ों उपाय करेंगे, फिर भी वह उनसे कोसों दूर रहेगी। नींद ने तो लोगों को शायर तक बना दिया है। अनेक कवितायें नींद के ऊपर लिखी गई हैं। अनेक फिल्मी गाने गाए गये हैं।

अब सवाल उठता है कि एक सामान्य व्यक्ति को कितनी नींद लेनी चाहिए। इ-पर लोगों के अलग-अलग विचार हैं।

चिकित्सकों के अनुसार 18 से 40 वर्ष की आयु तक आठ घंटे की नींद और 40 से 50 वर्ष तक के स्वस्थ मनुष्य के लिए 6 घंटे की नींद आवश्यक है। 50 वर्ष से अधिक उम्र होने पर नींद कम आने लगती है और आदमी किश्तों में नींद पूरी करता है।

जो लोग आठ या द-घण्टे तक सोते हैं, वे न तो पूरी नींद में होते हैं और न ही जागृ-अवस्था में। वे केवल अपना कीमती समय बिस्तर में पड़े-पड़े ही आलस्य में नष्ट कर देते हैं।

बहु-से लोग ऐसे मिल जायेंगे जो इसी चिन्ता में डूबे रहते हैं कि उन्हें नींद नहीं आती। रा-में सोने से पहले उन्हें यही भय रहता है।

डॉक्टरों के पा-ऐसे बहु-से मरीज आते हैं जो कहते हैं कि उन्हें नींद नहीं आती। अनिद्रा रोग है और ऐसे लोग हजारों रूपये की नींद की गोलियां और अन्य नशीले पदार्थों का सेवन कर लेते हैं।

वैसे नींद लाने के लिए कई उपाय बताये गये हैं। भार-में योग उनमें से एक उपाय है। पश्चिमी देशों में संगी-को महत्त्व दिया गया है। सोने से पहले व्यायाम करके भोजन करें। कोई उबाऊ कहानी या उपन्या-पढ़ें। सोने से पहले हाथ, पैर धोयें या स्नान कर लें।

कुछ धार्मिक लोगों के अनुसार भगवान का भजन कर लें या कोई मंत्रा जैसे गायत्राी मंत्रा पढ़ लें तो नींद आ जाती है। नया बिस्तर खरीदें या बिस्तर बदल डालें। सोने का स्थान बदल दें। कमरे को एयरकंडीशन युक्-करा लें।

इ-पर भी नींद न आये तो चिन्ता कि-बा-की। कैथ एलि-के अनुसार-‘अनिद्रा एक वरदान है क्योंकि यह देखने में आया है कि अनिद्रा के शिकार व्यक्ति प्रतिभाशाली एवं तीव्र बुद्धि के होते हैं। उनमें सृजन की भरपूर क्षमता होती है। शेक्सपीयर, कालिदा-और तुलसीदा-के बारे में कहा जाता है कि वे बहु-कम सोया करते थे। इसलिये उन्होंने इतनी महान रचनायें की।‘

हमें अनिद्रा की स्थिति पर ग्लानि नहीं होनी चाहिए और न ही उसे किसी बीमारी या पागलपन का लक्षण समझना चाहिए। ब-अनिद्रा का भरपूर फायदा उठाइये। आज के बदले परिवेश में हमें नींद नहीं आती तो हमें सृजन कार्य में समय खर्च करना चाहिए। संसार के जितने भी महान व्यक्ति हैं बहु-कम सो पाये हैं। रचनात्मक प्रवृत्ति के लोगों हेतु तो अनिद्रा एक वरदान है।

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