दिलेर समाचार, बीजिंग. चीन (China) के नागरिक मामलों के मंत्रालय ने आंकड़े जारी किए हैं। इसके मुताबिक 2021 की पहली तिमाही में 296,000 तलाक के मामले पंजीकृत हुए थे, वहीं इसके मुकाबले पिछले साल की अंतिम तिमाही में 10 लाख 60 हज़ार तलाक के मामले पंजीकृत किए गए थे - यानी 72 फीसदी की गिरावट आई है, वहीं 2020 की पहली तिमाही में 612,000 मामले आए थे जिसकी तुलना में भी इस साल 52 फीसद की गिरावट देखने को मिली है. कहा जा रहा है कि कूल ऑफ नियम के चलते आंकड़ों में कमी दर्ज की गई है.
दरअसल, चीन में 1 जनवरी 2021 से सिविल कोड लागू किया गया है जिसे मई में संसद से मंजूरी मिल गई थी. इस कानून को चीन में तलाक के बढ़ते हुए मामलों को देखते हुए जोड़ा गया है. इस नियम के तहत अब पति-पत्नी को तलाक की अर्जी देने के एक महीने तक ‘कूल-ऑफ’ अवधि बितानी होगी, अगर इस दौरान दोनों में से किसी का भी मन बदलता है तो वो अपनी अर्जी वापस ले सकता या सकती है. इससे पहले तलाक की अर्जी लगाते ही पति-पत्नी को तलाक मिल जाया करता था.
ये कानून, चीन के कई इलाकों में पहले से ही लागू है, देश भर में इसे लागू किया जाने पर सरकार को कई तरह के विरोध का सामना करना पड़ा. इसे निजी स्वतंत्रता में हस्तक्षेप, और जबरन लोगों को ऐसे रिश्ते में बांधने की कोशिश बताई जा रही थी जिससे वो खुश नहीं है. लेकिन राज्य में कई लोगों ने इसे पारिवारिक मजबूती और सामाजिक स्थिरता के लिए बेहतर भी बताया है.
ऑल चाइन वुमेन फेडरेशन के मुताबिक बीते सालों में चीन में तलाक के मामले बढ़े हैं जिसकी एक वजह महिलाओं की स्वायत्ता को बढ़ावा देने और दूसरी वजह तलाक को धब्बे के तौर पर न देखा जाना है. इस तरह के तलाक के मामलों में 70 फीसद से ज्यादा में पहल करने वाली पत्नियां हैं. इस चलन ने कई नीति निर्माताओं को सचेत किया और नागरिक मामलों से जुड़े मंत्रालय के अधिकारी यांग ज़ोंगताओ ने पिछले साल एक कॉन्फ्रेंस में कहा था कि ‘शादी और प्रजनन एक दूसरे से जुड़े हुए हैं, अगर शादी की दर में गिरावट होती है तो जन्मदर खुद ब खुद कम होगी, जिससे सामाजिक और आर्थिक विकास पर भी असर पड़ेगा.’
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