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योगी सरकार ने 6 महीनों में क्या खोया क्या पाया

Posted at: Sep 19 , 2017 by Dilersamachar 9659

दिलेर समाचार, 19 सितंबर मंगलवार को योगी सरकार अपना 6 महीना पूरा कर रही है. 19 मार्च कि शाम को जब प्रधानमंत्री मोदी के सामने योगी आदित्यनाथ ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी, तब लोग योगी के सीएम बनने पर अचंभित थे. लेकिन लोगों की उम्मीदें भी अपार थीं. ऐसे में अब जबकि योगी आदित्यनाथ के कार्यकाल के 6 महीने पूरे हो चुके हैं, जनता इस छह महीने का लेखा-जोखा चाहती है.

इसी को भांपते हुए योगी सरकार अपने छह महीने का रिपोर्ट कार्ड पेश करने जा रही है, लेकिन अपनी रिपोर्ट कार्ड के पहले योगी आदित्यनाथ ने पूर्ववर्ती समाजवादी पार्टी और बीएसपी सरकारों के कामकाज पर श्वेत पत्र जारी कर दिया.

सवाल भी उठे कि सिर्फ समाजवादी और बीएसपी के सरकारों के ही श्वेत पत्र क्यों? पूर्ववर्ती BJP सरकारों के क्यों नहीं? फिलहाल योगी इस सवाल को टाल गए लेकिन अपनी पीठ थपथपाने से पहले मीडिया को वह खुराक दे गए, जिससे उनकी सरकार के कामकाज और पिछली सरकार के कामकाज की तुलना की जा सके. सोमवार को योगी आदित्यनाथ ने कैबिनेट के अपने सहयोगियों के साथ एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर पिछली सरकारों के श्वेत पत्र को सामने रखा. साथ ही उन्होंने अपने छह महीने के कामकाज की रिपोर्ट कार्ड के लिए एक-दो दिनों का वक्त और मांग लिया.

सबसे पहले इन 6 महीनों में योगी सरकार ने क्या खोया, उसके बाद बताएंगे की इन 6 महीनों में योगी सरकार ने क्या पाया.

योगी सरकार ने क्या खोया :

बिजली

योगी आदित्यनाथ की सरकार ने अपने संकल्प पत्र को पूरा करने पर सबसे ज्यादा जोर दिया, लेकिन इन 6 महीनों में संकल्प पत्र की कुछ बड़ी घोषणाओं पर बड़ा झटका भी लगा. मसलन सरकार का सबसे बड़ा वादा बिना भेदभाव सभी को 24 घंटे बिजली देने का था, लेकिन 6 महीने गुजरने के बाद भी सरकार का बिजली का दावा उम्मीदों पर खरा नहीं उतर सका है. जब योगी सरकार अपना 6 महीने का जश्न मना रही होगी, उसी समय यूपी के कई जिलो में बिजली का हाल बेहाल है. कहीं जिला कलेक्टर के खिलाफ नारेबाजी हो रही है, तो कहीं लोग बिजली स्टेशन में तोड़फोड़ कर रहे हैं. योगी सरकार ने बिजली को लेकर वीवीआईपी जिले की पहचान तो खत्म कर दी लेकिन ज्यादातर जिलों में कई वजह से बिजली संकट गहराई हुई है.

खुद बिजली मंत्री भी मानते हैं बिजली की हालत ठीक नहीं है. मंत्री कहते हैं उन्हे विरासत में खस्ताहाल बिजली व्यवस्था मिली, इसलिए उसे सुधारने में वक्त लगेगा.

स्वास्थ्य

इन 6 महीनों में योगी सरकार अगर किसी मुद्दे पर सबसे ज्यादा घिरी या सबसे ज्यादा आलोचना का शिकार हुई, तो वह रहा जन स्वास्थ्य का मुद्दा. गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज मैं ऑक्सीजन की कमी से बच्चों की मौत ने पूरे देश में योगी सरकार के कामकाज पर बट्टा लगा दिया. हालांकि सरकार अब भी यही मानती है कि बच्चों की मौत ऑक्सीजन की कमी से नहीं हुई. लेकिन एक महीने से भी कम अंतराल में बीआरडी मेडिकल कॉलेज में 300 बच्चों की मौत ने स्वास्थ्य पर योगी सरकार के दावों को खारिज कर दिया.

बात अगर बीआरडी मेडिकल कॉलेज तक सीमित रहती तो शायद योगी सरकार को राहत मिल जाती. लेकिन बच्चों की मौत का सिलसिला गोरखपुर से निकलकर फर्रुखाबाद तक जा पहुंचा. फर्रुखाबाद के लोहिया अस्पताल में 50 बच्चों की मौत ने योगी सरकार के कामकाज पर गंभीर सवाल उठाए. सरकार ने दोनों अस्पतालों की जांच के आदेश दे दिए हैं,लेकिन इन दो मामलों ने स्वास्थ्य के क्षेत्र में योगी सरकार की मिट्टी पलीत कर दी.

स्वास्थ्य के मामले में सरकार बहुत आगे नहीं बढ़ पाई है गोरखपुर में एम्स का शिलान्यास हुए 1 साल से अधिक वक्त बीत चुका है, योगी सरकार के 6 महीने गुजर चुके हैं मगर अब तक एम्स अस्पताल का निर्माण कार्य भी शुरू नहीं हो सका है.

सड़क

समाजवादी पूर्वांचल एक्सप्रेसवे अधर में लटका हुआ है. जिस एक्सप्रेसवे से योगी सरकार ने समाजवादी नाम हटाकर सिर्फ पूर्वांचल एक्सप्रेसवे रख दिया है, उसे वह आगे बढ़ाने में फिलहाल सफल होती नहीं दिख रही. सरकारी बजट में पैसा नहीं है, इसलिए अब सरकार पूर्वांचल एक्सप्रेसवे को एनएचएआई के साथ आगे बढ़ाना चाहती है.

अपने शुरुआती 100 दिनों में योगी सरकार ने सड़कों के गड्ढे भरने का दावा किया था, लेकिन करीब उससे दोगुने वक्त में भी सड़कों के गड्ढे भर नहीं पाए हैं. 100 दिन के बाद योगी सरकार की तरफ से दलील दी गई कि भ्रष्टाचार के गड्ढे   इतनी जल्दी नहीं भर सकते.

गोमती रिवर फ्रंट दुर्दशा की मार झेल रहा है. गोमती रिवर फ्रंट अखिलेश यादव का ड्रीम प्रोजेक्ट था जो फिलहाल CBI जांच कि आंच झेल रहा है और अब दुर्दशा के हाल में है.

वाराणसी में वरुणा के रिवर फ्रंट का भी यही हाल है. अखिलेश यादव की सुपर स्पेशालिटी कैंसर और लीवर अस्पताल बनाने की योजना भी फिलहाल खटाई में है.

योगी सरकार ने छह महीने में क्या पाया :

किसान कर्ज माफी सफल

योगी सरकार अपने संकल्प पत्र के सबसे बड़े वादे किसानों का कर्ज माफ करने की योजना लागू करने में सफल रही है. हालांकि कुछ पैसे से लेकर कुछ रुपए तक की कर्जमाफी ने योगी सरकार की थोड़ी किरकिरी जरूर कराई है. लेकिन लाखों किसानों के एक लाख तक के कर्ज माफ हुए हैं, और फिलहाल योगी सरकार का यह वायदा जमीन पर उतरता दिख रहा है. इसके लिए योगी सरकार अपनी पीठ थपथपा सकती है.

कानून व्यवस्था

कानून व्यवस्था पर शुरुआती कुछ महीनों में गंभीर आलोचना झेलने के बाद राज्य में अब कानून व्यवस्था योगी सरकार के काबू में आती दिख रही है. लेकिन इसके लिए योगी सरकार को एनकाउंटर का सहारा लेना पड़ रहा है. पुलिस के आंकड़े देखें तो साफ हो जाएगा कि शुरुआती 4 महीनों के दौरान तो योगी सरकार को कानून व्यवस्था को लेकर भी आलोचनाओं का दंश झेलना पड़ा. लेकिन पिछले डेढ़ महीने में एनकाउंटर कर जिस तरह बदमाशों का सफाया किया गया, उससे कुछ हद तक प्रशासन को कानून व्यवस्था पर नियंत्रण हासिल हुआ है. इन 6 महीनों में योगी सरकार की पुलिस 420 एनकाउंटर कर चुकी है, जिसमें 15 बदमाश ढेर कर दिए गए.

बड़े आपराधिक मामलों को पुलिस ने सॉल्व किया, कई बड़े गिरोह पकड़े गए और कई बड़े बदमाशों का सफाया कर दिया गया. ऐसे में चुनौती बन रही कानून व्यवस्था अब योगी सरकार का ट्रंप कार्ड होता जा रहा है.

एंटी रोमियो अभियान आंशिक रूप से सफल

जिस एंटी रोमियो अभियान की वजह से पूरे देश में योगी सरकार चर्चा का विषय रही, वह पिछले कई महीनों से खत्म हो चुका है. एंटी रोमियो स्क्वाड अब चुपचाप काम कर रहा है और कुछ हद तक यह सफल भी है. शुरुआती आलोचना झेलने के बाद एंटी रोमियो स्क्वाड ने पार्कों में, रेस्टोरेंट में या सड़कों पर प्रेमी जोड़ों को निशाना बनाना बंद कर दिया और चुपचाप लड़कियों की शिकायतों पर काम करना शुरु किया, जिसके नतीजे दिखने शुरू हो गए हैं.

हालांकि एंटी रोमियो अभियान को सफल बनाने में अखिलेश सरकार द्वारा शुरू किए गए हेल्पलाइन नंबर 1090 का भी योगदान रहा. लेकिन जिस तरीके से एंटी रोमियो स्क्वाड को प्रशिक्षण दिया गया, आंतरिक रूप से बदला गया प्रेमी जोड़ों को न छोड़ने की हिदायत दी गई उससे एंटी रोमियो स्क्वाड योजना सफल दिख रही है.

एंटी भू-माफिया टास्क फोर्स भी सफल

BJP ने अपने संकल्प पत्र में सरकारी और गरीबों की जमीनें दबंगों के कब्जे से खाली कराने का बड़ा वादा किया था, जिस पर योगी आदित्यनाथ ने बड़ी शिद्दत से मेहनत की और एंटी भू-माफिया टास्क फोर्स बनाकर दबंगों से जमीने खाली भी करवाईं. गायत्री प्रजापति और अतीक अहमद सरीखे दबंगों से न सिर्फ जमीनें खाली कराई गईं, बल्की इनके आलीशान अवैध निर्माण भी गिरा दिए गए.

योगी सरकार अपने इन 6 महीनों के कामकाज को लेकर विपक्ष के निशाने पर है. समाजवादी पार्टी योगी सरकार को इस बात को लेकर कठघरे में खड़ा कर रही है कि उसने अखिलेश के कार्यों पर ही अपना लेबल लगा दिया. इसीलिए समाजवादी पार्टी इस 6 महीने को उत्तर प्रदेश का सबसे बड़ा काला युग करार दे रही है.

ये भी पढ़े: पंजाब के मुख्यमंत्री द्वारा पराली न जलाने वाले किसानों को बोनस देने के लिए प्रधान मंत्री को पत्र

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