दिलेर समाचार,ससुराल में सभी नए लोग होते हैं उनके साथ संबंध बनाने और उन्हें समझने में कुछ समय तो लगता है। उसके लिए धैर्य और कूल रहने की आवश्यकता होती है।एक्सपर्टस का कहना है कि शादी की तैयारियों के साथ ही शादी के बाद आने वाले बदलाव की तैयार मन ही मन दुल्हन को कर लेनी चाहिए जैसे ससुराल में कौन -कौन हैं, किस आयु के हैं, थोड़ा बहुत उनके घर का वातावरण कैसा है। इसके लिए पहले से मन को तैयार कर लेना चाहिए। अगर दोनों तरफ से प्यार मिलता है तो संबंध आसानी से मधुर बन सकते हैं।
अक्सर मित्र और आस-पास के वातावरण में रहने वाले लोगों से सुना और देखा जाता है कि सास तो होती ही ऐसी है, ननद को भाभी का हंसना खेलना नहीं भाता, सास हर बात पर टोकती ही रहती हैं, जब मर्जी कुछ भी बोल देती हैं।ऐसा टीवी सीरियल्स में भी देखने को मिलता है। सबके अनुभव, सोचने समझने का तरीका और परिस्थितियां भी भिन्न होती हैं। इन उदाहरणों को पाजीटिव लें और बुद्धि का सही प्रयोग करें। किसी अन्य की सोच को बिना अनुभव न अपनाएं। अगर इन पूर्वाग्रहों से दूर रहकर नए माहौल और नए रिश्तों को अपनाएंगे तो रिश्ते स्वस्थ, मजबूत और मधुर बनने में मदद मिलेगी।
अगर आप या आपके पति दूसरे शहर में नौकरी करते हैं तो यह स्पष्ट है कि आप उन्हीं के साथ बाहर जाएंगी। माह-दो माह में जैसा आपके लिए सुविधाजनक हो, ससुराल जरूर जाएं तभी रिश्ते मधुर और दृढ़ बनते हैं। कभी कभी उन्हें भी अपने शहर में बुलाएं, घुमाएं, पिक्चर दिखाएं आदि। इससे नजदीकियां बढ़ती हैं और आपसी समझ भी।परिवार के सभी सदस्यों से बात करें। स्वयं कम और मीठा बोलें। ज्यादा बोलने से कभी कभी गलत भी मुंह से निकल सकता है। अगर आपको किसी की बात अनुचित लगे तो प्यार से बिना किसी ताने के सीधे बात करें। गलतफहमी दूर हो जाएगी।
हर परिवार में रीति रिवाज, पूजा-पाठ की विधियां अलग होती हैं और नई बहू से उन्हीं परंपराओं को आगे बढ़ाने की उमीद की जाती है। अगर आप कामकाजी हैं और आपसे ठीक से न निभ पाए तो अपनी बात को सलीके से रखें ताकि उनकी भावनाएं आहत न हों।अपने मायके से ससुराल की तुलना न करें। इससे रिश्ते खराब होते हैं। यह आदत अधिकतर महिलाओं को होती है ऐसा करने से आप स्वयं को नए माहौल में एडजस्ट नहीं कर पाएंगी। याद रखिए मायका और ससुराल अलग परिवार हैं। सबके तौर तरीके जिंदगी के प्रति अलग हैं।
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