दिलेर समाचार, पटना. उनकी आंखें तब खुलता है जब कोर्ट… इन शब्दों के साथ पटना उच्च न्यायालय ने एक बार फिर बिहा सरकार को फटकार लगाते हुए न्यायिक आदेशों के प्रति सरकार के की बेरुखी वाले रवैया पर कड़ी आपत्ति जताई है. पटना हाई कोर्ट ने नीतीश सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि कुछ सुस्त अफसर के कारण न्यायपालिका की मर्यादा को भी सुरक्षित नहीं रखा जा रहा. कोर्ट ने यह सख्त टिप्पणी करते हुए कहा, हाई कोर्ट को मिली अब मन आदेश की पावन शक्ति अब महज न्यायाधीश को फलीभूत करने का जरिया बन गई है.
हाई कोर्ट ने उन अधिकारियों को भी तलब किया है जिनके आदेश पर भागलपुर विश्वविद्यालय का बैंक खाता को फ्रिज कर दिया गया है. दरअसल, मामला वर्ष 2016 में पारित हाई कोर्ट आदेश का शिक्षा विभाग और भागलपुर विश्वविद्यालय द्वारा अनुपालन नहीं किए जाने का है. इसमें खंडपीठ ने तिलका मांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार के वेतन भुगतान पर अगले आदेश तक के लिए रोक भी लगाई है.
इसी मामले में नौ वर्ष पहले हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ता के लंबित भुगतान को देने का निर्देश विश्वविद्यालय प्रशासन को दिया था, लेकिन अब तक कोर्ट आदेश का पालन नहीं हो सका. हाई कोर्ट ने नाराजगी हुए कहा कि कुछ सुस्त अफसरों के कारण न्यायपालिका की मर्यादा को सुरक्षित रखने हेतु हाई कोर्ट को मिली अवमानना आदेश की पावन शक्ति अब महज न्याय आदेश को फलीभूत कराने का जरिया बन गई है.
पटना हाई कोर्ट ने कहा, संवैधानिक कोर्ट में मुकदमा जीतने के बाद भी याचिकाकर्ता के लिए यह निश्चित नहीं हो पाता है कि उसके पक्ष में पारित न्याय आदेश का लाभ मिलेगा भी या नहीं! क्योंकि राज्य सरकार या विश्वविद्यालय अपने विरुद्ध पारित आदेश के विरुद्ध न तो वर्षों तक कोई अपील दायर करते हैं और न अदालती आदेश आदेश का समय पर अनुपालन. कोर्ट ने आगे कहा कि, उनकी आंखें तब खुलती हैं जब कोर्ट से अवमानना का नोटिस मिलता है.
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