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करीब होकर भी बहुत दूर, कुछ ऐसे हैं बीजेपी और जेडीयू के रिश्ते

Posted at: Jun 22 , 2019 by Dilersamachar 12033

दिलेर समाचार, पटना। राज्यसभा में ट्रिपल तलाक़ बिल का एनडीए की सहयोगी पार्टी जेडीयू विरोध करेगी. हालांकि वह इस बिल के ख़िलाफ़ वोट करेगी या सदन का वोटिंग के समय बहिष्कार करेगी इस पर पार्टी ने अपना निर्णय सार्वजनिक नहीं किया हैं. लेकिन जब से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दूसरी बार शपथ लिया है, बीजेपी और  जेडीयू के बीच रिश्ते सहज नहीं दिख रहे हैं. हालांकि नीतीश कुमार बार-बार सफाई दे रहे हैं कि रिश्ते पूरी तरह से सामान्य हैं, लेकिन यह बात किसी के भी गले से नीचे नहीं उतर रहे हैं और आपस में तनाव से जुड़ीं कई तरह की बातें सामने आ रही हैं. फिलहाल ताजा घटनाक्रम में नीतीश सरकार ने तेजस्वी यादव को बड़ी राहत दी है जिसमें उनके उप मुख्यमंत्री पद पर रहने के दौरान आवंटित बंगले में हुए खर्च की जांच से इनकार करना है. राज्य सरकार के इस फैसले पर कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं .लेकिन इन अटकलों के बीच बीते कुछ दिनों में हुए घटनाक्रमों पर भी एक नजर दौड़ाएं तो ऐसा लगता है कि अंदर ही अंदर जरूर कुछ न कुछ चल रहा है.

मोदी का 50 करोड़ की मदद मांगना

मुजफ्फरपुर और गया के दौरे में नीतीश कुमार के साथ उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी भी साथ में थे. इस दौरान नीतीश के इस घोषणा के बावजूद राज्य सरकार अपने ख़र्चे से 100 बेड के आईसीयू का निर्माण कराएगी, उसके विपरीत सुशील मोदी ने पहले ट्वीट किया और शुक्रवार को केंद्रीय वित्त मंत्री से इसके लिए विधिवत रूप से मदद मांगी. निश्चित रूप से नीतीश कुमार को ये बात गले से नहीं उतर रही होगी कि आख़िर मात्र पचास करोड़ की मदद मांगने की क्या ज़रूरत थी.

योग भी नहीं पाया जोड़

'विश्व योग  दिवस के अवसर पर BJP नेताओं का कहना है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का एक बार फिर सहयोगी या गठबंधन सरकार चलाने के बावजूद सरकारी कार्यक्रम से अपने आप को अलग रखना यह दिखाता है कि अभी तक वो इस मुद्दे पर तन और मनसे साथ नही हैं. हालांकि जनता दल यूनाइटेड के कोटे से नीतीश मंत्रिमंडल में कई मंत्री और पटना के मुख्य कार्यक्रम में भाग लेने के लिए पहुंचे थे लेकिन उस समारोह की तस्वीरों से  साफ़ झलक रहा है की कितने अनमने ढंग से ये लोग एक साथ योगकर रहे हैं.

जिम्मेदारी से भाग रहे बीजेपी के मंत्री

इससे पहले मुज़फ़्फ़रपुर प्रकरण पर ही बीजेपी के वरिष्ठ नेता डॉक्टर सीपी ठाकुर ने चिंता जताते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से हस्तक्षेप करने के लिए पत्र लिखा वो भी नीतीश कुमार के साथ रिश्तों को झलकाता है. डॉक्टर ठाकुर को ये बात अच्छी तरह से मालूम है कि स्वास्थ्य विभाग की खराब हालात पर बिहार में बीजेपी के कोटे से बने मंत्री अपनी ज़िम्मेदारी से बच नहीं सकते हैं. जैसा कि स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय मुज़फ़्फ़रपुर जाने के बजाय दिल्ली और छपरा में पार्टी के कार्यक्रम को प्राथमिकता दी. उससे नीतीश कुमार के ख़ुश रहने का कोई कारण नहीं बनता. हालाँकि नीतीश कुमार भी मुज़फ़्फ़रपुर जाने से पहले दिल्ली में तीन दिन का प्रवास नीति आयोग की बैठक के बहाने किया ।

बिहार भाजपा के वरिष्ठ नेता ये बात मानते हैं कि रिश्ते अगर सामान्य होते तो नीतीश प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूसरी बार शपथ लेने के बाद दो बार दिल्ली गए लेकिनअभी तक औपचारिक रूप से उन्होंने प्रधानमंत्री के साथ कोई मुलाक़ात नहीं की है. हालांकि नीति आयोग की बैठक में और देश में एक साथ चुनाव कराने के इस हफ़्ते की बैठक में दोनों आमने सामने हुए. जानकार मानते हैं कि नीतीश स्वभाव के ज़िद्दी हैं और जब तक केंद्रीय मंत्री मंडल में उनके अनुपातिक प्रतिनिधित्व की मांग को माना नहीं जायेगा तब तक वो ऐसे साथ साथ सरकार चलाते हुए दूरी बनाये रखेंगे. 

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