दिलेर समाचार, नई दिल्ली: कुछ ही घंटों बाद मोदी सरकार 2.0 (Modi Govt) का दूसरा बजट (Union Budget 2020) पेश होने जा रहा है. देश-विदेश में सुस्त पड़ते आर्थिक परिदृश्य के बीच वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) आज (शनिवार) आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देने वाला 'फील गुड' बजट पेश कर सकती हैं. इस बजट में लोगों की जेब में खर्च के लिए अधिक पैसा बचे, इसके लिए आयकर (Income Tax) में कटौती, ग्रामीण और कृषि क्षेत्र को अधिक प्रोत्साहन और ढांचागत क्षेत्र की परियोजनाओं के लिए आवंटन बढ़ाया जा सकता है. साथ ही बजट में मिडिल क्लास को कुछ और राहतें भी दी जाने की उम्मीद जताई जा रही है.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण शनिवार को लोकसभा में 2020-21 का आम बजट पेश करेंगी. बजट ऐसे समय में पेश किया जा रहा है, जब अर्थव्यवस्था सुस्ती के दौर में है. इस वित्त वर्ष में आर्थिक वृद्धि दर पांच फीसदी रहने का अनुमान है. यह दर 11 साल में सबसे निचली वृद्धि होगी. भू-राजनीतिक क्षेत्र में तनाव फैला हुआ है और दुनिया की दो बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के बीच व्यापार युद्ध के बाद अब कुछ शांति दिख रही है. ऐसे में घरेलू अर्थव्यवस्था को गति देना वित्त मंत्री के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती है. सीतारमण को बजट में 2025 तक देश को पांच हजार अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने की दिशा में पहल करनी होगी.
देश के दिग्गज अर्थशास्त्रियों का मानना है कि केंद्र सरकार के लिए 5 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी की राह आसान नहीं है लेकिन इसके लिए नई दिशा की ओर कदम बढ़ाने से पहले पुराने मुद्दों पर फोकस करने की जरूरत है. माना जा रहा है कि बजट में इसके लिए एक स्पष्ट खाका पेश किया जा सकता है. आर्थिक समीक्षा में भी उद्योग जगत में विश्वास बढ़ाते हुए कारोबार सुगमता बढ़ाने सहित कई उपाय सुझाए गए हैं. पिछले साल सितंबर में सरकार ने निवेश प्रोत्साहन के लिए कॉरपोरेट कर दरों में बड़ी कटौती की थी. नौकरीपेशा लोग पिछले काफी समय से इनकम टैक्स सेक्शन 80C के तहत आयकर में रियायत की सीमा बढ़ाए जाने की भी मांग कर रहे हैं. माना जा रहा है कि बजट में उनकी इस मांग को पूरा करते हुए केंद्र सरकार मिडिल क्लास को तोहफा दे सकती है.
कंपनियों के लिए कॉरपोरेट टैक्स में बड़ी कटौती के बाद अब यह कयास लगाया जा रहा है कि व्यक्तिगत आयकर दरों में भी कटौती की जा सकती है. इसमें छूट की न्यूनतम सीमा को ढाई लाख रुपये से बढ़ाकर पांच लाख रुपये किया जा सकता है. व्यक्तिगत आयकर स्लैब में बदलाव के साथ ही ऊंची आय वालों के लिए एक नया स्लैब बजट में रखा जा सकता है. एक वरिष्ठ सरकारी सूत्र ने कहा, 'पिछले चार महीने के दौरान उपभोक्ता के विश्वास को बढ़ाने के लिए सरकार ने कई प्रोत्साहन उपायों की घोषणा की, लेकिन इसके बावजूद उपभोक्ताओं का विश्वास नहीं बढ़ पाया है. बैंकों से कर्ज लेने वाले ज्यादा लोग नहीं आ रहे हैं. मकान और नई कार खरीदने वाले भी बाजार से दूर हैं. अर्थव्यवस्था में 'फील गुड' फैक्टर कहीं गुम हो गया है.'
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