दिलेर समाचार, हैदराबाद: तेलंगाना की 29 वर्षीय रूथ पॉल जॉन कोय्यला देश की पहली ट्रांसजेंडर पोस्ट ग्रेजुएट डाॅक्टर हैं. उनका पीजी करने का सफर आसान नहीं था, इसके लिए उन्हें 2 साल तक कानूनी लड़ाई लड़नी पड़ी है. रूथ पॉल जॉन की यह उपलब्धि न केवल ऐतिहासिक सोच को तोड़ती है, बल्कि ट्रांसजेंडर समाज से जुड़ी रूढ़िवादिता को भी चुनौती देती है. उन्होंने अपना अधिकार पाने के लिए कई दरवाजों पर दस्तक दी. विभिन्न विभागों और मंत्रियों को 20 से अधिक अभ्यावेदन सौंपने की कठिन यात्रा को याद करते हुए, उन्होंने कहा कि आखिरकार उन्हें तेलंगाना उच्च न्यायालय से वह अधिकार मिला, जिसकी वह हकदार थीं.
रूथ पॉल जॉन ने हैदराबाद के मल्ला रेड्डी इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज से एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी की. इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में उन्होंने कहा, ‘जब मैं 8 साल की थी तब से मेरा सपना रहा है कि मैं डॉक्टर बनूं. लोगों ने मेरे साथ कैसा व्यवहार किया, इसके कारण मैंने कड़ी मेहनत से पढ़ाई की और हर स्तर पर संघर्ष किया. 2018 में एमबीबीएस पूरा करने के बाद, कम से कम 20 अस्पतालों ने मुझे अस्वीकार कर दिया. उन्होंने मेरी शक्ल-सूरत और मेरे बायोडॉटा में ट्रांसजेंडर के जिक्र को देखा. इस भेदभाव ने मेरे सपनों को पूरा होने से रोका.”
रूथ जॉन पॉल तेलंगाना के Khammam शहर से हैं. वह एक अनुसूचित जाति के परिवार से हैं. अपनी सफलता के बाद उन्होंने कहा, “हाई कोर्ट ने NEET-PG काउंसलिंग में ट्रांसजेंडर लोगों के लिए एक सीट आरक्षित करने की मेरी याचिका पर सुनवाई की.” वह वर्तमान में हैदराबाद के उस्मानिया जनरल अस्पताल में एक चिकित्सा अधिकारी के रूप में कार्यरत हैं. जबकि भारत में अन्य ट्रांसजेंडर डॉक्टरों ने चिकित्सा में स्नातकोत्तर डिग्री हासिल की है, लेकिन उन्होंने पुरुष/महिला सीट पर ही अपना नामांकन हासिल किया है.
वहीं, रूथ जॉन पॉल ने इन रास्तों को नहीं चुना, उन्होंने अपनी पहचान और समान प्रतिनिधित्व के लिए लड़ाई के प्रति अपनी आवाज उठाई. रूथ जॉन पॉल ने कहा, “मेरा सपना स्त्री रोग विशेषज्ञ बनने का है क्योंकि मैं अपने समुदाय के सदस्यों की सेवा करना चाहती हूं, जिनमें से कई लोग लिंग परिवर्तन के दौरान और उसके बाद कोई ट्रीटमेंट लेने से बचते हैं.”
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