दिलेर समाचार, लद्दाख. भारत और चीन (India China Faceoff) के बीच बीते 6 महीने से जारी गतिरोध को कम करने के लिए अब तक कई बार बात हो चुकी है. दोनों देशों के सैन्य कमांडरों के दरम्यान अब तक 6 बार बातचीत होने के बाद अब 12 अक्टूबर को सातवीं बार बातचीत की तैयारी हो रही है. हालांकि चीन अपनी मांगों को लेकर अड़ा है. चीन की ओर से माहौल के तनाव को कम करने के लिए कोई भी कदम उठते नहीं दिख रहे. इसके विपरीत चीन ने सोलर और गैस हीटेड ट्रूप कंटेनर्स और स्नो टेंट लगाए जा रहे हैं, जिससे यह स्पष्ट हो रहा है कि इन सर्दियों में भी चीन के सैनिक लद्दाख में गतिरोध वाली जगहों पर तैनात रहेंगे.
हिन्दुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, गतिरोध वाली जगहों के हालात से वाकिफ सरकारी अधिकारियों ने बताया कि पीएलए (चीनी सेना) सर्दियों के लिए तैयारी हो रही है. उसकी ओर से लगाए गए कंटेनर्स में चार से छह सैनिक रह सकते हैं. इसके साथ ही अपने बीमार होने वाले सैनिकों का इलाज करने के लिए वहीं अस्पताल भी स्थापित किए गए हैं.
क्या है चीन की शर्त?
दूसरी ओर भारतीय पक्ष का मानना है कि सीमा पर डिसएंगेजमेंट और डी-एस्केलेशन के लिए कई दौर की सैन्य और कूटनीतिक बातचीत की आवश्यकता होगी. वहीं चीनी सेना के कमांडरों ने यह कह कर स्थिति को जटिल बना दिया है कि चीनी सेना द्वारा सॉल्ट वॉटर लेक के उत्तरी तट पर स्थित फिंगर फोर एरिया से वापस चला जाएगा, लेकिन उससे पहले भारतीय सेना पहले पैंगोंग त्सो के दक्षिणी तट और रेजांग ला-रेचिन ला से पीछे हटे.
चीनी सेना LAC के पास उत्तरी तट पर भारतीय सैनिकों की यथास्थिति में बदलाव चाहता है तो वहीं भारत पैंगोंग त्सो के दक्षिणी तट पर LAC की अपनी यथास्थिति पर अड़ा हुआ है. चीनियों का आरोप है कि भारतीय सेना ने उनकी सीमा में यथास्थिति बदलने की कोशिश की है.
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