दिलेर समाचार, नई दिल्ली। देश में अति अमीरों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। फिलहाल साढ़े छह करोड़ से ज्यादा की संपत्ति रखने वाले ऐसे अमीरों की संख्या दो लाख 45 हजार हो गई। भारत में कुल घरेलू संपदा पांच ट्रिलियन डॉलर (करीब 325 लाख करोड़ रुपए) है। क्रेडिट सुइस ग्लोबल वेल्थ रिपोर्ट में ये आंकड़े सामने आए हैं।
संपत्ति का यह आंकड़ा अर्थव्यवस्था के आकार से भी बड़ा है। रिपोर्ट के मुताबिक अगले पांच साल में ऐसे करोड़पतियों की संख्या तीन लाख 72 हजार होने का अनुमान है। इसी तरह सभी परिवारों के पास मौजूद संपत्ति का आंकड़ा भी 7.5 फीसदी बढ़कर 7.1 ट्रिलियन डॉलर (लगभग 461.5 लाख करोड़ रुपए) पर पहुंच जाएगा।
रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2000 के बाद से भारत में संपत्ति 9.9 फीसदी सालाना की दर से बढ़ी है, जबकि ग्लोबल औसत महज छह फीसदी का ही रहा। इसके अलावा देश की दौलत में इस दौरान 451 अरब डॉलर का इजाफा हुआ। इस लिहाज से दौलत में यह विश्व की आठवीं सबसे बड़ी वृद्धि है।
भारत में दौलत तो बढ़ रही है, मगर हर किसी पर लक्ष्मी जी मेहरबान नहीं हो रही हैं। इसका सीधा सा सबूत यह है कि देश की 92 फीसदी वयस्क आबादी के पास 10,000 डॉलर (करीब 6.5 लाख रुपए) से कम संपत्ति है।दूसरे छोर पर आबादी के एक बेहद छोटे से हिस्से के पास एक लाख डॉलर से ज्यादा की दौलत है। मगर ज्यादा बड़ी आबादी के कारण यह आंकड़ा भी 42 लाख तक पहुंच जाता है।
दुनिया के एक फीसदी सबसे बड़े संपत्ति धारकों में भी भारत के 3.40 लाख अमीर शामिल हैं। विश्व में उनकी हिस्सेदारी 0.7 फीसदी है। भारत के 1,820 लोगों के पास पांच करोड़ डॉलर (करीब 325 करोड़ रुपए) से ज्यादा की संपत्ति है। दस करोड़ डॉलर (तकरीबन 650 करोड़ रुपए) से ज्यादा दौलत वालों की संख्या 760 है।
भारत में दौलत मुख्य रूप से प्रॉपर्टी और अन्य वास्तविक संपत्ति के रूप में है। कुल घरेलू संपदा में इसकी हिस्सेदारी 86 फीसदी है। निजी कर्जों की कुल संपत्ति में महज नौ फीसदी हिस्सेदारी है। इस लिहाज से कर्ज के मामले में विकसित देशों से हम काफी पीछे हैं। भले ही देश के अधिकांश गरीबों के लिए कर्ज का बोझ गंभीर समस्या है, मगर संपत्ति के मुकाबले परिवारों पर कुल कर्ज का आंकड़ा कम है।
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