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Laxmii review: फुस्सी बम निकली अक्षय कुमार की फिल्म 'लक्ष्मी'

Posted at: Nov 10 , 2020 by Dilersamachar 10041

दिलेर समाचार, मुंबई. Laxmii Movie Review: अक्षय कुमार (Akshay Kumar) और क‍ियारा आडवाणी (Kiara Advani) की मोस्‍ट अवेटेड फिल्‍म 'लक्ष्‍मी' (Laxmii) ड‍िज्‍नी प्‍लस हॉटस्‍टार () पर र‍िलीज हो गई. अक्षय की इस फिल्‍म का उनके फैंस को लंबे समय से इंतजार था और इसी इंतजार को देखते हुए स‍िनेमा र‍िलीज को सरपास करते हुए इस फिल्‍म को ओटीटी पर र‍िलीज कर द‍िया गया. अक्षय कुमार, जो प‍िछले कुछ सालों से लगातार बेहद अलग हटकर फिल्‍में करते हुए नजर आ रहे हैं, इस फिल्‍म में पहली बार एक किन्नर के किरदार में नजर आए हैं. अक्षय कुमार की ये फिल्‍म 2011 की तमिल की सुपरहिट फिल्‍म 'कांचना' (Kanchana) का रीमेक वर्जन है. अपने पहले लुक से ही अक्षय ने इस फिल्‍म के ल‍िए जबरदस्‍त बज क्रिएट कर द‍िया था, लेकिन फिल्‍म र‍िलीज के बाद ये साफ है कि अक्षय कुमार की जबरदस्‍त एक्टिंग के अलावा ये 'लक्ष्‍मी' इस द‍िवाली पर आपकी झोली में कुछ और डालकर नहीं जाने वाली.

कहानी: 'लक्ष्‍मी' की कहानी एक शादीशुदा जोड़े से शुरू होती है जिसमें रश्मि (कियारा आडवाणी) हिंदू है और आसिफ (अक्षय कुमार) मुस्लिम. धर्मों के इसी अंतर के चलते रश्मि का परिवार इस शादी को नहीं मानता और कई सालों से अपनी बेटी से नहीं मिला. रश्मि की मां आख‍िरकार अपनी शादी की सालग‍िरह पर अपने बेटी-दामाद को बुलाती है. आसिफ भूत-प्रेत से जुड़े लोगों के अंधव‍िश्‍वास को दूर करने का काम करता है लेकिन अपने ससुराल में पहुंचकर वह खुद ही एक भूत की चपेट में आ जाता है. ये भूत ही एक किन्नर का भूत है. अब ये भूत आसिफ से कैसे दूर होता है, कैसे कहानी में ट्व‍िस्‍ट आता है, उसके ल‍िए आपको ये फिल्‍म देखनी होगी.

फिल्‍म की पॉज‍िट‍िव चीज की बात करें तो इसकी सबसे जबरदस्‍त चीज हैं अक्षय कुमार, और इस फिल्‍म में देखने लायक चीज भी स‍िर्फ अक्षय कुमार ही हैं. अक्षय आस‍िफ से लेकर लक्ष्‍मी किन्नर की आत्‍मा आने के अवतार में जबरदस्‍त फॉर्म में नजर आए हैं. उन्‍होंने अपने इस किरदार को खूब पकड़ा है और काफी इंप्रैस किया है. इसके अलावा असली लक्ष्‍मी के किरदार में नजर आए एक्‍टरर शरद केलकर इस फिल्‍म का सरप्राइज पैकेज हैं ज‍िन्‍होंने 15 म‍िनट में ही अपनी छाप छोड़ दी है. लेकिन फिल्‍म की पॉज‍िट‍िव चीजें बस यहीं खत्‍म हो जाती है. फिल्‍म के स्‍क्रीनप्‍ले से लेकर, आसपास के किरदारों तक, सब कुछ अतरंगी और 'नॉनसेंस' करता हुआ नजर आता है.

इस फिल्‍म में कब क्‍या हो रहा है, कई बार दर्शक के लिए समझना बेहद मुश्किल हो जाता है. भूत-प्रेत की बात करते-करते अक्षय कुमार अचानक कियारा आडवाणी को अपने सपने में खींचकर ले जाते हैं और 'बुर्ज-खलीफा' पर नाचने लगते हैं. लोग एकदूसरे को बेवजह थप्‍पड़ मार रहे हैं, जो परिवार बेटी की मुस्लिम धर्म में शादी होने पर नाराज है उसी परिवार में कियारा की मां पीर बाबा से बात करने के ल‍िए अचानक उर्दू बोलने लगती हैं... 'लक्ष्‍मी' एक हॉरर-कॉमेडी है लेकिन फिल्‍म में कॉमेडी करने की इतनी बुरी कोशिश है क‍ि ये कॉमेडी ही हॉरर साबित हो जाती है. शायद ही फिल्‍म का कोई पंच ऐसा हो जो आपको देखने के बाद याद हो.

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