दिलेर समाचार- 2019 लोकसभा चुनाव से पहले भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को चुनौती देने के लिए विपक्षी दलों के मोर्चे को लेकर अनिश्चितता बरकरार है. इस बीच मायावती ने साफ-साफ शब्दों में विपक्षी दलों को आगाह कर दिया है कि वह सम्मानजनक सीट मिलने पर ही गठबंधन के लिए हाथ बढ़ाएंगी. मायावती ने लखनऊ में बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) के अधिवेशन को संबोधित करते हुए कहा, ''पार्टी सिर्फ सम्मानजनक सीटें मिलने पर ही किसी राज्य में कोई समझौता या गठबंधन करेगी. हालांकि कई राज्यों और यूपी में गठबंधन करके चुनाव लड़ने की बातचीत चल रही है लेकिन पार्टी को हर परिस्थिति के लिए तैयार रहना होगा.''
आपको बता दें कि मायावती समाजवादी पार्टी से गठबंधन को लेकर जल्दबाजी में नहीं हैं. उनकी पहली कोशिश पार्टी को मजबूत करने के साथ लोकसभा चुनाव में ज्यादा से ज्यादा सीट जीतने की है. गोरखपुर और फूलपुर में एसपी को समर्थन देने वाली बीएसपी ने कैराना के उपचुनाव से दूरी बनाए रखी. मायावती पिछले दिनों कर्नाटक में कुमारस्वामी के शपथ ग्रहण समारोह में विपक्ष के साथ एकजुट नजर आई. उन्हें विपक्ष के बड़े चेहरे के तौर पर आंका जाता रहा है. लेकिन सीटों को लेकर लड़ाई की वजह से चुनाव में गठबंधन के फॉर्मूले पर पानी फिर सकता है. हालांकि कम होती सीटें मायावती को गठबंधन के लिए मजबूर भी कर सकती है. बीएसपी 2014 के लोकसभा चुनाव में एक भी सीट नहीं जीत पाई थी. वहीं उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में 403 सीटों में मात्र 19 सीटों पर बीएसपी ने जीत दर्ज की थी.
इस दौरान उन्होंने पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को भी सख्त संदेश दिया. मायावती ने कहा, ''अभी मैं अगले लगभग 20-22 सालों तक खुद ही आगे और सक्रिय रहकर पार्टी की गतिविधियों को आगे बढ़ाती रहूंगी. अब ऐसे में अगले लगभग 20-22 सालों तक पार्टी में किसी को भी पार्टी का मुखिया बनने का सपना नहीं देखना चाहिए. न ही किसी को अभी मेरा उत्तराधिकारी बनने का भी सपना देखना चाहिए.' मायावती के अधिवेशन में पार्टी संविधान में संशोधन करके परिवारवाद के अभिशाप से मुक्त रखने का फ़ैसला लिया.
उन्होंने अधिवेशन में कहा, ''मैंने अपने भाई आनंद कुमार को लोगों के आग्रह पर पार्टी के पेपर वर्क के लिए पार्टी में एक पद पर रखा, लेकिन इसका परिवारवाद का आरोप मीडिया ने कांग्रेस और दूसरी पार्टियों की तरह लगाया, लिहाज़ा मेरे भाई ने खुद बिना पद के पार्टी हित में काम करने का आग्रह किया. आगे जो भी पार्टी का अध्यक्ष बनाया जाएगा उसके जीते जी या उसके ना रहने के बाद भी उसके किसी परिवार या रिश्तेदार को पार्टी में जगह नहीं दी जाएगी.''
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