दिलेर समाचार, नई दिल्ली. दिल्ली में कूड़े के पहाड़ की समस्या को दूर करने के लिए अब कवायद तेज हो गई है. दिल्ली की तीनों नगर निगमों जोकि अब एक कर दी गई हैं, इनकी ओर से कई बड़ी योजनाओं पर काम किया जा रहा है. नॉर्थ, साउथ और ईस्ट एमसीडी अपने अधीनस्थ सेनेट्री लैंडफिल साइट्स (Sanitary Landfill Sites) के कूड़े के निस्तारण पर तेजी से काम कर रही हैं. साउथ एमसीडी (South MCD) ने ओखला लैंडफिल साइट (Okhla Landfill Site) पर परंपरागत तरीके से 51 लाख मीट्रिक टन कूडे़ का पृथक्करण दिसम्बर, 2023 तक पूरा करने का लक्ष्य निर्धारित किया है.
साउथ एमसीडी के अधिकार क्षेत्र में ओखला लैंडफिल साइट (Okhla SLF) करीब 47 एकड़ एरिया में फैली हुई है. निगम को नए लैंडफिल स्थल की स्थापना करने हेतु भूमि आवंटित की गई है. वर्तमान लैंडफिल स्थल को वैज्ञानिक रूप से बंद करने के लिए योजना पर कार्य चल रहा है. परंपरागत/लेगिसी कचरे के पृथक्करण हेतु लैंडफिल साइट पर 2500 टन प्रतिदिन क्षमता की 25 ट्रोमेल मशीन भी लगाई गई है. इस लैंडफिल स्थल पर परंपरागत तरीके से 51 लाख मीट्रिक टन कूडे़ का पृथक्करण दिसम्बर 2023 तक पूरा कर लिया जाएगा.
इस बीच देखा जाए तो एसडीएमसी की ओर से तेहखंड में एक इंजीनियर्ड लैंडफिल साइट तैयार की जा रही है. इसके लिए डीडीए की ओर से एसडीएमसी (SDMC) को तेहखंड में 47.5 एकड़ भूमि का आवंटन भी किया गया था जिसमें से 27.3 एकड़ भूमि पर ई-एसएलएफ (इंजीनियर्ड लैंडफिल साइट) बनाई जा रही है. इस साइट की निर्माण लागत करीब 42.3 करोड़ रुपए आंकी गई है.
बताया जाता है कि इस ई-एसएलएफ (E-SLF) का प्रयोग एसडीएमसी की ओर से ओखला में संचालित वेस्ट टू एनर्जी प्लांट एवं तेहखंड में निर्माणाधीन वेस्ट टू एनर्जी प्लांट द्वारा 3600 मीट्रिक टन प्रतिदिन कूड़े को संसाधित करने के लिए किया जाएगा. इसके बाद करीब 360 मीट्रिक टन प्रतिदिन राख को निस्तारित करने के काम भी आएगा. इस साइट का निर्माण कार्य अगले वर्ष तक पूरा करने की संभावना जताई गई है.
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