दिलेर समाचार, अभी तक जनगणना के आधार पर पता चलता था कि कौन गरीब है व कौन अमीर, लेकिन अब सोशल मीडिया के जरिये भी इसकी जानकारी मिल जाएगी। दरअसल सोशल नेटवर्किंग साइट फेसबुक ने एक नई तकनीक के लिए पेटेंट आवेदन दाखिल किया है।
इस तकनीक की मदद से फेसबुक यूजर के आर्थिक हालात का पता लगाएगा। यूजर्स को तीन हिस्सों में बांटा जाएगा- वर्किंग क्लास, मीडिल क्लास और अपर क्लास।
ख़बरों की माने तो पेटेंट के मुताबिक फेसबुक इस तकनीक से अपने यूजर की व्यक्तिगत जानकारी जैसे, शिक्षा, घर और इंटरनेट के इस्तेमाल का पता लगाएगा। इस आधार पर कंपनी अपने यूजर्स को आर्थिक रुप से 3 हिस्सों में बांटेगी।
पेटेंट के मुताबिक फेसबुक इस अलगोरिथम से अपने यूजर्स को आथिक आधार पर और सही से टारगेट कर सकेगी। इससे एडवटाइजर्स को अपनी ऑडियंस तक पहुंचने में ज्यादा मदद मिलेगी।
इससे पहले 4 फरवरी को फेसबुक ने अपने 14 साल पूरे किए। इस बीच फेसबुक ने जानकारी दी थी कि उसके प्लेटफॉर्म पर करीब 20 करोड़ फर्जी अकाउंट चलाए जा रहे हैं। फेसबुक के मुताबिक 20 करोड़ खाते या तो फर्जी या फिर एक ही व्यक्ति के दोहरे अकाउंट हो सकते हैं। इसके साथ कंपनी ने यह जानकारी भी दी है कि भारत में इस तरह के खातों की संख्या बहुत अधिक है।
कंपनी ने दिसंबर 2017 तक के आंकड़ों को एमएयू (मंथली एक्टिव यूजर्स) के आधार पर जारी किया। इसके मुताबिक एक से अधिक खाता धारक और फेसबुक के डुप्लीकेट खातों की संख्या विकासशील देशों में ज्यादा है। भारत, इंडोनेशिया, फिलीपींस आदि देशों में यह अन्य देशों के मुकाबले कहीं अधिक है।
फेसबुक ने अपनी ताजा वार्षिक रिपोर्ट में बताया है कि 2017 की चौथी तिमाही में नकली या दोहरे खातों की हिस्सेदारी एमएयू का लगभग 10 प्रतिशत है।
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