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ट्रिपल तलाक बिल पर राज्यसभा स्थगित, हंगामे के कारण नहीं हो सकी चर्चा

Posted at: Jan 4 , 2018 by Dilersamachar 9728

दिलेर समाचार, नई दिल्ली। राज्‍यसभा में तीन तलाक बिल पर चर्चा गुरुवार को भी नहीं हो सकी। हंगामे के चलते राज्‍यसभा शुक्रवार तक के लिए स्‍थगित कर दी गई है। वित्‍त मंत्री अरुण जेटली ने इसमें कहा कि सेलेक्‍ट कमेटी में भेजने की मांग नियमों के अनुसार नहीं है। ये प्रस्‍ताव 24 घंटे पहले आना चाहिए थे।

बुधवार को बीजद, तेदेपा भी विपक्ष के साथवित्त मंत्री की इस दलील के बावजूद कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, सपा, बसपा और राजद समेत 17 दल विधेयक को प्रवर समिति में भेजने की मांग पर अड़े रहे। राजग की सहयोगी तेदेपा के अलावा बीजद जैसे दल भी इस पर विपक्ष के साथ दिखे।

इससे पहले मुस्लिम महिलाओं को एकसाथ तीन तलाक की कुप्रथा से आजादी दिलाने वाला यह विधेयक राज्यसभा में भारी हंगामे के बीच पेश तो हो गया, लेकिन इसे पारित नहीं कराया जा सका। कांग्रेस सहित 17 विपक्षी दल बिल को प्रवर समिति (सेलेक्ट कमेटी) में भेजने की जिद पर अड़े रहे। भारी हंगामे की वजह से सदन को स्थगित करना पड़ा। राज्यसभा में सदन के नेता अरुण जेटली ने लोकसभा में समर्थन करने और उच्च सदन में अवरोध खड़ा करने के लिए कांग्रेस को आड़े हाथों लिया।

छह माह में कानून जरूरी : जेटली

जेटली ने विपक्ष की मांग को अनुचित बताते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट के तीन तलाक संबंधी फैसले के मद्देनजर छह महीने के भीतर कानून बनाना जरूरी है। 22 फरवरी को छह माह की अवधि पूरी हो रही है। इसीलिए यह विधेयक तत्काल पारित होना चाहिए। प्रवर समिति में भेजने की विपक्ष की रणनीति इसे लटकाने का प्रयास है।

विधेयक पेश करने पर भी हंगामा

नेता सदन और नेता विपक्ष के बीच सदन में विधेयक पेश करने को लेकर भी घमासान हुआ। विपक्ष तत्काल तलाक पर विधेयक से पहले महाराष्ट्र की दलित हिंसा पर चर्चा की मांग पर अड़ा था। मगर उपसभापति पीजे कुरियन के प्रयासों से भारी हंगामे के बीच कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने बिल पेश किया। उन्होंने कहा कि लोकसभा से बिल पारित होने के बाद भी तत्काल तलाक की घटनाएं सामने आ रही हैं। मुस्लिम महिलाओं को हक दिलाने के लिए इसे तत्काल पारित किया जाना चाहिए। मत विभाजन पर अड़ा विपक्षउपसभापति ने विपक्ष के दोनों संशोधन प्रस्तावों को वैध माना। इसके बाद घमासान बढ़ गया और विपक्ष मत विभाजन की मांग करने लगा। सत्ता पक्ष और विपक्ष का घमासान थमता नहीं देख उपसभापति ने सदन पूरे दिन के लिए स्थगित कर दिया।

यह है राज्यसभा का गणित

-245 सदस्यीय राज्यसभा में सत्तारूढ़ राजग के पास 88 सांसद हैं। इनमें अकेले भाजपा के पास 57 सांसद हैं।

-कांग्रेस के 57, सपा के 18, बीजद के 8, अन्नाद्रमुक के 13, तृणमूल के 12 और राकांपा के 5 सांसद हैं।

-सरकार को सभी दलों का साथ मिल जाता है, तो भी बिल पारित कराने के लिए 35 और सांसदों के समर्थन की जरूरत होगी।

अटक सकता है विधेयक

किसी भी विधेयक को कानूनी रूप देने के लिए दोनों सदनों से पास करवाना जरूरी होता है। अब गुरुवार को इस बिल का भविष्य तय होगा। हालांकि, सदन का गणित देखते हुए बिल पारित होने की राह मुश्किल दिख रही है और इसके प्रवर समिति में जाने के प्रबल आसार हैं।

क्या है प्रवर समिति

संसद अपने कामकाज निपटाने के लिए कई तरह की समितियों का गठन करती है। संसदीय समितियां दो तरह की होती हैं, प्रवर और स्थायी। प्रवर समिति का गठन किसी खास मामले या उद्देश्य के लिए किया जाता है। रिपोर्ट सदन में प्रस्तुत कर दिए जाने के बाद उसका अस्तित्व समाप्त हो जाता है। स्थायी समिति का काम निश्चित होता है।

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