दिलेर समाचार, नई दिल्ली. कोविशील्ड को लेकर यूरोपीय संघ में घमासान जारी है. स्विट्जरलैंड और यूरोपीय संघ के सात देशों ने गुरुवार कोविशील्ड प्राप्त लोगों को यात्रा की अनुमति दे दी है. खास बात यह है कि एक दिन पहले ही भारत ने औपचारिक रूप से ईयू के सदस्यों से कोविशील्ड और कोवैक्सीन को पासपोर्ट लिस्ट में शामिल करने की अपील की थी. इसके अलावा बुधवार को केंद्र ने कहा था कि कोविशील्ड और कोवैक्सीन को शामिल नहीं करने पर ईयू के नागरिकों के लिए अनिवार्य क्वारंटीन नियम लागू करने होंगे. पुणे स्थित सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया में तैयार हुई इस वैक्सीन का टीका लेने वाले स्विट्जरलैंड में ग्रीन पास हासिल कर सकेंगे.
गुरुवार को ऑस्ट्रिया, जर्मनी, स्लोवेनिया, ग्रीस, आईलैंड, आयरलैंड और स्पेन ने कोविशील्ड वैक्सीन को स्वीकार कर लिया है. भारत ने सदस्य देशों से कोविन पोर्टल के जरिए प्राप्त वैक्सीन सर्टिफिकेट को मंजूरी देने की अपील की थी. इस दौरान भारतीय अधिकारियों ने कहा था कि 'सर्टिफिकेट की वास्तविकता को कोविन के जरिए प्रमाणित किया जा सकता है.'
फिलहाल यूरोपियन मेडिसिन्स एजेंसी ने केवल चार वैक्सीन को अनुमति दी है. इनमें फाइजर/बायोएनटेक की कॉर्मिनाटी, मॉडर्ना, एस्ट्राजेनेका-ऑक्सफोर्ड की वैक्सजर्व्रिया और जॉनसन एंड जॉनसन की जेनसेन शामिल है. केवल इन्हीं चारों वैक्सीन प्राप्त लोगों को ही वैक्सीन पासपोर्ट दिया जा रहा था और महामारी के दौरान यूरोपीय संघ में यात्रा करने की अनुमति दी गई थी.
सोमवार को सीरम इंस्टीट्यूट के सीईओ अदार पूनावाला ने ट्वीट किया था, 'मुझे एहसास हुआ है कि कई भारतीय, जिन्होंने कोविशील्ड ली है, वे ईयू की यात्रा में परेशानियों का सामना कर रहे हैं. मैं सभी को भरोसा दिलाता हूं कि मैंने इस बात को शीर्ष तक उठाया है और उम्मीद करता हूं कि मामला नियामकों और कूटनितिक स्तर पर जल्द सुलझ जाएगा.'
मौजूदा नियमों के हिसाब से कोविशील्ड या कोवैक्सीन प्राप्त भारतीय और अन्य देशों के लोग ईयू में बगैर पाबंदियों के यात्रा नहीं कर सकते. इसके मतलब है कि उन्हें हर देश की तरफ से बनाए गए नियमों के साथ-साथ क्वारंटीन दौर से भी गुजरना होगा.
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