दिलेर समाचार, नई दिल्ली: यूपी बोर्ड के 10वीं और 12वीं परीक्षा के नतीजे रविवार (29 अप्रैल) को घोषित हो रहे हैं. हालांकि पहले दोनों कक्षाओं का परिणाम अलग-अलग घोषित करने का इरादा था. लेकिन बाद में बोर्ड ने इन्हें एकसाथ घोषित करने का ऐलान किया. इस साल परीक्षाओं में नकल और फर्जी परीक्षार्थियों को रोकने के लिए कई इंतजाम किए गए थे. ऐसी सख्त ढाई दशक पहले भी हुई थी जब यूपी में नकल अध्यादेश लागू हुआ था. उस समय यूपी में कल्याण सिंह की सरकार थी. नकल करते सैकड़ों छात्र पकड़े गए थे. 10वीं में सिर्फ 14.7 फीसदी बच्चे पास हुए थे जबकि 12वीं में 30.4 फीसदी बच्चे. उस साल 10वीं पास छात्र ढूंढे नहीं मिल रहे थे. कई स्कूलों में एक भी छात्र पास नहीं हो पाए थे.
1993 का चुनाव हार गई थी भाजपा
नकल अध्यादेश लाने के फैसले पर ततकालीन सीएम कल्याण सिंह और उस समय गृह मंत्री रहे राजनाथ सिंह की शिक्षा जगत में काफी तारीफ हुई थी. हालांकि इससे सरकार को नुकसान पहुंचा था. 1993 के विधानसभा चुनाव में सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव ने जनता से वादा किया कि उनकी सरकार आई तो इस अध्यादेश को खत्म कर देंगे. हुआ भी वैसा ही मुलायम बसपा के साथ मिलकर गठबंधन सरकार बनाने में सफल हुए थे और उन्होंने अध्यादेश को हटा दिया. इसमें राजनाथ सिंह विधानसभा चुनाव तक हार गए थे.
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