Logo
May 5 2024 04:33 AM

हंगामा है क्यों बरपा, एक ट्वीट तो किया है

Posted at: Oct 8 , 2019 by Dilersamachar 9468

राज सक्सेना

भाजपा के साथ एक भारी विडम्बना यह है कि उसे और उसके बहुमत को विरोधी दल सहन ही नहीं कर पा रहे हैं। ऐसा लगता है कि उनके पास भाजपा और उसके दो विशेष नेता प्रधानमंत्राी मोदी और गृह मंत्राी अमित शाह के विरोध के अलावा कोई और काम है ही नहीं। कभी कभी तो ऐसा भी लगता है कि ये सब इस ताक में लगे रहते हैं कि इन दोनों के मुंह से कुछ निकले और ये बिना समय गंवाए उसका विरोध चीख चीख कर करना प्रारम्भ कर दें।

विगत हिन्दी दिवस को भी ऐसा ही हुआ। एक सामान्य प्रक्रिया के चलते दिवस विशेषों पर नेताओं और प्रमुख राजकीय पदधारकों द्वारा बधाई संदेशों के जारी किये जाने वाली प्रक्रिया के अधीन जब अमित शाह ने देश को हिन्दी दिवस की बधाई दी और लोगों से अपेक्षा की कि वे हिन्दी को भारत की सम्पर्क भाषा के रूप में स्थापित करने में अपना योगदान दें तो अधिकतर विरोधी दलों ने अपना विरोध प्रकट कर दिया कि अमित शाह अपना ट्वीट वापस लें वरना राष्ट्रीय स्तर पर उनका और हिन्दी का विरोध किया जाएगा।

आइये देखें कि अमित शाह ने ट्वीट किया क्या था। शनिवार 14, सितम्बर हिन्दी दिवस पर अमित शाह ने अपने आधिकारिक ट्वीटर पर एक ट्वीट किया,-

‘आज हिन्दी दिवस के अवसर पर मैं सभी नागरिकों से अपील करता हूं कि हम अपनी-अपनी मातृभाषा के प्रयोग को बढ़ाएं और साथ में हिन्दी भाषा का भी प्रयोग कर देश की एक भाषा के पूज्य बापू और सरदार पटेल के स्वप्न को साकार करने में योगदान दें।’

यह एक सामान्य प्रक्रिया के प्रति जारी किया गया ट्वीट है और उल्लेखनीय यह भी है कि इसमें कुछ ऐसा है भी नहीं है जो ट्वीट को विवादित बनाता हो। इसमें पहले अपनी मातृभाषा के प्रयोग को बढ़ाते हुए हिन्दी के प्रयोग की वांछना की गयी है। इसमें बुरा क्या कहा गया है?, कुछ भी नहीं किन्तु चूंकि हर बात पर विरोध करना है कि अघोषित नीति पर चल रहे विपक्ष को विरोध करना ही था इसलिए सबसे पहले तमिलनाडु से डीएमके के अध्यक्ष एमके स्टालिन मैदान में कूदे और उन्होंने बयान दिया, ’हम लगातार हिन्दी को थोपे जाने का विरोध कर रहे हैं।  आज अमित शाह द्वारा की गई टिप्पणी से हमें आघात पहुंचा है। यह देश की एकता को प्रभावित करेगा। हम मांग करते हैं कि वह बयान वापस लें।’ स्टालिन ने यह भी बयान दिया कि ‘दो दिन बाद पार्टी की कार्यकारी समिति की बैठक होने वाली है जिसमें इस मुद्दे को उठाया जाएगा।’

इसके बाद तो तड़ातड़ कई बयान और ट्वीट हुए। विपक्ष के कई नेताओं ने इस पर अपनी तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की थी।

केरल के मुख्यमंत्राी पिनराई विजयन और पुडुचेरी के मुख्यमंत्राी और कांग्रेस नेता वी नारायण सामी ने गृहमंत्राी अमित शाह को दक्षिण भारतीय राज्यों पर हिन्दी को न थोपने को लेकर चेतावनी भी दी। सामी ने कहा कि ‘हिन्दी को थोपकर हम देश को एक नहीं रख सकते। उन्होंने न्यूज एजेंसी एएनआई से कहा कि हमें सभी धर्मों, संस्कृतियों और भाषाओं का सम्मान करना चाहिए और काम करने का यही तरीका होना चाहिए’।

तमिलनाडु से एआईडीएमके और केरल से मुख्यमंत्राी के बयान सामने आते ही बीजेपी के धुर विरोधी असदुल्लाह ओवैसी ने ’एक भाषा’ की डिबेट को हिन्दुत्व से जोड़कर सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश ही कर दी। उन्होंने ट्वीट कर कहा, ’हिन्दी हर भारतीय की मातृभाषा नहीं है। क्या आप इस देश की कई मातृभाषाएं होने की विविधता और खूबसूरती की प्रशंसा करने की कोशिश करेंगे।’ हैदराबाद से सांसद ओवैसी ने आगे कहा कि ‘अनुच्छेद 29 हर भारतीय को अपनी अलग भाषा और कल्चर का अधिकार देता है।’ ओवैसी ने बीजेपी पर निशाना साधते हुए आगे लिखा कि, ‘भारत हिन्दी, हिन्दू, हिन्दुत्व से भी बड़ा है।

इस दौड़ में दीदी भी कैसे पीछे रह जातीं। कुछ देर में ही टीएमसी चीफ और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्राी ममता बनर्जी का ट्वीट आ गया। उन्होंने हिन्दी में लिखते हुए हिन्दी दिवस की बधाई दी और कहा कि ‘हमें सभी भाषाओं और संस्कृतियों का समान रूप से सम्मान करना चाहिए।’ उन्होंने यह भी कहा, ’हम कई भाषाएं सीख सकते हैं लेकिन हमें अपनी मातृभाषा को कभी नहीं भूलना चाहिए।’

यहाँ पर ध्यान देने की बात यह भी है कि ये जितने नेता हिन्दी के विरोध में बयानबाजी कर रहे हैं, स्वयं भली प्रकार हिन्दी समझते और बोलते हैं। स्वयं इनके बच्चे जिन स्कूलों में पढ़े हैं वहां हिन्दी की शिक्षा दी जाती है। जो नेता राजनैतिक लाभ के लिए अपने बच्चों को उन स्कूलों में पढ़ाते हैं जिनमें हिन्दी की शिक्षा नहीं दी जाती तो वे अपने घरों पर चुपचाप बच्चों को हिन्दी पढ़ाने की व्यवस्था कराते हैं क्योंकि वे जानते हैं कि देश में बिना हिन्दी के काम चल ही नहीं सकता।

यहाँ पर यह भी उल्लेख किया जाना समीचीन होगा कि विरोधियों के मुख्य निशाने पर चल रहे प्रधान मंत्राी मोदी और गृहमंत्राी अमित शाह दोनों अहिन्दीभाषी प्रदेश गुजरात से आते हैं और हिन्दी की प्रगति के लिए जी जान से लगे हैं। प्रधानमंत्राी मोदी ने हिन्दी को राष्ट्रीय स्तर पर ही नहीं, अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी एक अलग पहचान देकर उसे अंतर्राष्ट्रीय भाषा के रूप में प्रतिस्थापित करने की शुरुआत कर दी है। मोदी जिस अंतर्राष्ट्रीय या राष्ट्रीय मंच पर भी बोलते हैं हिन्दी में ही बोलते हैं, यहाँ तक कि गुजरात में भी वे अधिकाँश हिन्दी में ही भाषण करते हैं।

यह नहीं है कि जैसा कि विरोधी प्रचार करते हैं ’मोदी अच्छी अंग्रेजी नहीं बोल सकते, जहां जरूरत पड़ी है उन्होंने धाराप्रवाह और लच्छेदार अंग्रेजी बोल कर लोगों को चकित कर दिया है किन्तु यह मोदी का हिन्दी के प्रति समर्पण ही है कि वे विदेशों में भी हर मंच पर हिन्दी में ही भाषण करते हैं। इसका सुपरिणाम यह हुआ है कि अब विदेशों में रहने वाले लगभग सभी भारतीय मूल के नागरिक यहाँ तक कि दक्षिण भारत मूल के भी नागरिक हिन्दी में दक्षता प्राप्त कर चुके हैं और वे भली प्रकार मोदी के हिन्दी भाषण को समझने लगे हैं। यहाँ तक कि अब अधिकाँश भारतीय आपस में हिन्दी में ही बात करने लगे हैं और उसे अघोषित स्वभाषा का दर्जा दे चुके हैं।

यह सही है कि तमिलनाडु की राजनीति की धुरी हिन्दी विरोध ही है किन्तु हिन्दी को राजभाषा बनाने के लिए सहमति देने वाले व्यक्तियों में सबसे पहली पंक्ति के राजनेता चक्रवर्ती राजगोपालाचारी ही थे, इसी प्रकार ममता बनर्जी को यह नहीं भूलना चाहिए कि  दीदी के राज्य के ही विद्वान केशव चन्द्र सेन से सन 1875 में खुले रूप से हिन्दी को देश की राजभाषा घोषित करने का अभियान चलाया था।

कुल मिला कर संतोष का विषय यह है कि मोदी और शाह के राज में हिन्दी का वह प्रखर विरोध हिन्दी विरोधी नहीं कर पा रहे हैं जो वे पहले मौका मिलते ही किया करते थे और हिन्दी को दरकिनार करने की कोशिश में सफल हो जाते थे। आज स्थिति यह है कि अहिन्दीभाषी राज्यों के सामान्य नागरिक भी समझने लग गये हैं कि केवल हिन्दी ही देश की सम्पर्क भाषा बन सकती है और उसका विरोध केवल राजनेता अपने राजनैतिक लाभ के लिए ही करते हैं। वे यह भी समझने लग गये हैं कि विदेशों में भी भारतीय मूल के नागरिकों से केवल हिन्दी में ही सम्यक सम्पर्क हो सकता है, अन्य किसी भारतीय भाषा में नहीं। 

ये भी पढ़े: मिलावटी मिठाइयों से सावधान

Related Articles

Popular Posts

Photo Gallery

Images for fb1
fb1

STAY CONNECTED