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एयर चीफ मार्शल ने दिया राफेल विमानों और पायलट्स को वॉटर सैल्यूट

Posted at: Jul 29 , 2020 by Dilersamachar 9585
दिलेर समाचार, नई दिल्ली. अपनी हवाई सीमाओं की सुरक्षा को चाक-चौबंद करने की दिशा में बुधवार को भारत उस समय एक कदम और आगे बढ़ गया जब रूस (Russia) से सुखोई विमानों (Sukhoi) की खरीद के करीब 23 साल बाद, नये और अत्याधुनिक पांच राफेल लड़ाकू विमानों (Rafale Fighter Jet) का बेड़ा फ्रांस (France) से आज यहां, देश के सामरिक रूप से महत्वपूर्ण अंबाला एयरबेस (Ambala Airbase) पर पहुंच गया. अंबाला एयरबेस पर वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल आरकेएस भदौरिया (Air Chief Marshal RKS Bhadauriya) ने विमानों की अगवानी की और इसे उड़ाकर लाने वाले पायलट्स से मुलाकात की. एयरबेस पर इन विमानों को वॉटर सैल्यूट भी दिया गया. इन विमानों के, वायुसेना (Indian Air Force) में शामिल होने के बाद देश को आस-पड़ोस के प्रतिद्वंद्वियों की हवाई युद्धक क्षमता पर बढ़त हासिल हो जाएगी. निर्विवाद ट्रैक रिकॉर्ड वाले इन राफेल विमानों को दुनिया के सबसे बेहतरीन लड़ाकू विमानों में से एक माना जाता है. फ्रांस के बोरदु शहर में स्थित मेरिगनेक एयरबेस से 7,000 किलोमीटर की दूरी तय करके ये विमान आज दोपहर हरियाणा में स्थित अंबाला एयरबेस पर उतरे. राफेल विमानों के भारतीय हवाई क्षेत्र में प्रवेश करने के बाद दो सुखोई 30एमकेआई विमानों ने उनकी आगवानी की और उनके साथ उड़ते हुए अंबाला तक आए. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने ट्वीट किया है, ‘‘बर्ड्स सुरक्षित उतर गए हैं.’’ वायुसेना में लड़ाकू विमानों को ‘बर्ड’ (चिड़िया) कहा जाता है. सिंह ने ट्वीट किया है, ‘‘राफेल लड़ाकू विमानों का भारत पहुंचना हमारे सैन्य इतिहास के नये अध्याय की शुरुआत है. ये बहुद्देशीय विमान भारतीय वायुसेना की क्षमता में अभूतपूर्व वृद्धि करेंगे.’’ 2016 में एनडीए सरकार ने किया था 36 विमान का सौदा एनडीए सरकार ने 23 सितंबर, 2016 को फ्रांस की एरोस्पेस कंपनी दसॉ एविएशन के साथ 36 लड़ाकू विमान खरीदने के लिए 59,000 करोड़ रुपये का सौदा किया था. इससे पहले तत्कालीन यूपीए सरकार करीब सात साल तक भारतीय वायुसेना के लिए 126 मध्य बहुद्देशीय लड़ाकू विमानों की खरीद की कोशिश करती रही थी, लेकिन वह सौदा सफल नहीं हो पाया था. दसॉ एविएशन के साथ आपात स्थिति में राफेल विमानों की खरीद का यह सौदा भारतीय वायुसेना की युद्धक क्षमता को और मजबूत बनाने के लिए किया गया , क्योंकि वायुसेना के पास लड़ाकू स्क्वाड्रन की स्वीकृत संख्या कम से कम 42 के मुकाबले फिलहाल 31 लड़ाकू स्क्वाड्रन हैं.

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