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इस एक्सप्रेस-वे के निर्माण में योगी आदित्यनाथ सरकार ने करीब 1,132 करोड़ रुपये की बचत भी की है, जो कि कुल अनुमानित लागत का 12.72% है. अभी चार लेन में बने बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे को आगे चलकर छह लेन तक बढ़ाने की योजना है. यह एक्सप्रेस-वे राज्य के सात जिलों को जोड़ता है, जिसमें 13 इंटरचेंज प्वाइंट होंगे.
इस नए एक्सप्रेस-वे की एक और खासियत यह भी है कि यह आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे से इटावा के पास जुड़ेगा, जिससे दिल्ली-एनसीआर के साथ लखनऊवालों को भी बुंदेलखंड तक सीधा रूट मिल जाएगा.
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बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे राज्य में बनने वाले डिफेंस कॉरिडोर की सफलता के लिए भी बेहद अहम है. बांदा और जालौन जिले में इंडस्ट्रियल कॉरिडोर के लिए काम भी शुरू हो चुका है. वहीं दूसरी ओर चित्रकूट में यह एक्सप्रेस राष्ट्रीय राजमार्ग 35 पर खत्म हो रहा है, जो झांसी को प्रयागराज से जोड़ता है.
यूपी एक्सप्रेस-वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण के सीईओ अश्विनी कुमार अवस्थी कहते हैं, ‘यह नया एक्सप्रेस-वे सामाजिक और आर्थिक विकास के अलावा कृषि, पर्यटन और उद्योग के क्षेत्र में आय बढ़ाने के साथ-साथ बुंदेलखंड क्षेत्र के सर्वांगीण विकास में मदद करेगा. यह दिल्ली-एनएसआर के लिए इंडस्ट्रीयल कॉरिडोर के रूप में भी काम करेगा.’
इस नए एक्सप्रेस-वे के पास झांसी और चित्रकूट में डिफेंस कॉरिडोर की दो इकाइयां बनाई जाएंगी. पिछले साल 19 नवंबर को पीएम मोदी ने झांसी में भारत डायनेमिक्स लिमिटेड (BDL) यूनिट की आधारशिला रखी थी, जिसमें पहले फेस के लिए 400 करोड़ रुपये का निवेश प्रस्तावित है.
बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे यूपी का पांच एक्सप्रेस-वे होगा. इससे पहले राज्य में नोएडा-ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेस-वे, ग्रेटर नोएडा को आगरा से जोड़ने वाला युमना एक्सप्रेस-वे, फिर 302 किलोमीटर लंबा आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे और लखनऊ को गाजीपुर से जोड़ने वाला 341 किलोमीटर लंबा पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे, जिसका पीएम मोदी ने पिछले साल उद्घाटन किया था. इसके साथ प्रयागराज से मेरठ के बीच 594 लंबे गंगा एक्सप्रेस-वे पर भी काम तेज़ी चल रहा है.
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