Logo
April 27 2024 04:17 AM

धारा 377 पर फैसला कोर्ट के विवेक पर छोड़ने के लिये सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला...

Posted at: Sep 9 , 2018 by Dilersamachar 9619

दिलेर समाचार, नई दिल्ली: भारतीय दंड संहिता की धारा 377 को चुनौती देने जैसे संवेदनशील मुद्दों पर फैसला अदालत के विवेक पर छोड़ने के सरकार के रुख पर उच्चतम न्यायालय के एक न्यायाधीश ने निराशा व्यक्त की और कहा कि नेताओं की तरफ से इस तरह की शक्तियों को न्यायाधीशों पर छोड़ने का काम रोजाना हो रहा है.

दो वयस्कों के बीच सहमति से समलैंगिक संबंधों को अपराध के दायरे से बाहर करने वाली उच्चतम न्यायालय की पांच सदस्यीय संविधान पीठ में शामिल न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ ने शनिवार को कहा कि धारा 377 मामले में फैसला औपनिवेशिक मूल के कानूनों और संवैधानिक मूल्यों का सही प्रतिनिधित्व करने वाले कानूनों के बीच लड़ाई की भावना का सही मायने में प्रतिनिधित्व करता है.

न्यायाधीश ने यह भी कहा कि आजादी से पूर्व या औपनिवेशिक कानूनों की संवैधानिक न्यायशास्त्र के मूल्यों से सामंजस्य की आवश्यकता भी इस फैसले में प्रदर्शित हुई है. न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा, ‘नेता क्यों कई बार न्यायाधीशों को शक्ति सौंप देते हैं और हम उच्चतम न्यायालय में इसे हर रोज होता देख रहे हैं. हमने धारा 377 मामले में देखा, जहां सरकार ने हमसे कहा कि हम इसे अदालत के विवेक पर छोड़ रहे हैं और ‘अदालत का यह विवेक’ जवाब नहीं देने के लिये मेरे लिये काफी लुभाने वाला सिद्धांत था इसलिये दूसरे दिन अपने फैसले में मैंने इसका जवाब दिया.’
न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ यहां नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी द्वारा आयोजित 19वें वार्षिक बोध राज साहनी स्मृति व्याख्यान 2018 में ‘‘संवैधानिक लोकतंत्र में कानून का राज’’ विषय पर बोल रहे थे.

ये भी पढ़े: चुनावी राज्यों की रिपोर्टिंग के वक्त पीएम मोदी ने बीजेपी नेताओं को दिया जीत का मंत्र: विपक्ष के जाल में न फंसे और...

Related Articles

Popular Posts

Photo Gallery

Images for fb1
fb1

STAY CONNECTED