दिलेर समाचार, नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले के बाद उद्योगपति रतन टाटा को सूकून मिला होगा. साथ ही उन्हें अपने एक बयान पर अफसोस भी होगा जिसमें उन्होंने कहा था- 'मैं साइरस मिस्त्री के गुणों, उनकी क्षमता और नम्रता से प्रभावित हूं.' साल 2011 की 23 नवंबर को टाटा ने मिस्त्री को अपने उत्तराधिकारी के तौर पर चुना था. हालांकि टाटा का यह फैसला उनके लिए कई मायनों में गलत साबित हुआ. सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी भी इस ओर इशारा कर रही है. कोर्ट ने मिस्त्री को उनके पद से हटाए जाने को सही करार दिया है.
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि एसपी समूह की कंपनियों द्वारा रतन टाटा को छाया (शेडो) निदेशक कहना उचित नहीं है. अदालत ने कहा कि साइरस मिस्त्री उस कंपनी के निदेशक मंडल के चेयरमैन थे, जिसने टाटा को 100 अरब डॉलर के टाटा समूह का मानद चेयरमैन नियुक्त किया था. ऐसे में आप टाटा को छाया निदेशक नहीं कह सकते.
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया एसए बोबडे, जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस वी रामासुब्रमण्यम की पीठ ने मिस्त्री की टाटा संस के कार्यकारी चेयरमैन के रूप में नियुक्ति का जिक्र करते हुए कहा कि ‘जिस व्यक्ति को उसी दरवाजे से प्रवेश मिला है, बाहर निकलने पर वह उसकी आलोचना नहीं कर सकता.'
पीठ ने कहा, 'जिस बोर्ड के चेयरमैन साइरस मिस्त्री थे, उसी ने रतन टाटा को मानद चेयरमैन नियुक्त कर उनके समर्थन और मार्गदर्शन की इच्छा जताई थी, ऐसे में शिकायतकर्ता कंपनियों के लिए टाटा को छाया निदेशक कहना उचित नहीं है.'
सुप्रीम कोर्ट ने टाटा-मिस्त्री विवाद पर शुक्रवार के फैसले में साइरस मिस्त्री को टाटा समूह के कार्यकारी चेयरमैन पद से हटाए जाने को उचित करार देते हुए कहा कि ‘कोई व्यक्ति अपने घर में केवल इस कारण आग लगाने का प्रयास करे कि उसे वह चीज हासिल नहीं हो रही है जिसे वह अपना हक मानता है, तो ऐसा व्यक्ति किसी निर्णायक जगह पर रखे जाने लायक नहीं है.’
अदालत ने कहा कि यह विडंबना है कि एक ऐसा व्यक्ति जो टाटा संस की कुल चुकता पूंजी के केवल 18.37 प्रतिशत के शेयरधारकों का प्रतिनिधित्व करता हो, फिर भी कंपनी के बोर्ड ने उसे कंपनी के औद्योगिक साम्राज्य के उत्तराधिकारी की मान्यता दे दी है, वह व्यक्ति उसी बोर्ड पर ‘ अल्पांश शेयरधारकों के हितों का दमन और उनके साथ अनुचित व्यवहार करने का आरोप लगा रहा है.’
अदालत ने कहा कि साइरस मिस्त्री ने निदेशक रहते हुए जिस तरह अपने 25 अक्टूबर के ई-मेल को मीडिया को लीक किया और आयकर विभाग के अधिकारियों को जवाब के साथ चार फाइलें भेजीं उसे देखते हुए टाटा संस और समूह की अन्य कंपनियों के निदेशक के पदों से उनको हटाया जाना सही था.
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