रमेन दासगुप्ता ‘शुभ्रो’
इस ओर बार-बार ध्यान दिलाये जाने के बावजूद भी कि दुनिया लगातार गर्म होती जा रही है, दुनिया भर की सारी सरकारें चुप्पी साधे बैठी हैं। शायद उन्हें यह समझ नहीं आ रहा है कि मौसम के गर्म होते मिजाज को किस तरह से शांत किया जाये।
लगातार पड़ रही भीषण गर्मी का सीधा मतलब यह हुआ कि वातावरण में सूर्य की उष्मा को सोखने की शक्ति भी अब क्षीण हो गई है। बढ़ती हुयी जनसंख्या की जरूरतों को पूरा करने के लिये वनों का विनाश और कल कारखानों से निकलते जहरीले धुएं ने पृथ्वी के वातावरण को लगातार गर्म करने में मुख्य भूमिका निभायी है।
यह एक दिलचस्प तथ्य है कि जब संकट गहराता है सिर्फ तभी हमें उसका अहसास होता है लेकिन तब पानी सिर के ऊपर से गुजर चुका होता है। भू वैज्ञानिक भी पिछले बीस वर्षों से इस बात की चेतावनी देते आ रहे हैं कि दुनिया गर्म हो रही है जो भविष्य के लिये एक अशुभ संकेत है।
यदि मौसम के उग्र होते मिजाज को शांत करने के लिये शीघ्र ही कोई ठोस कदम नहीं उठाये गये तो दुनिया भर के ग्लेशियर पिघलने लगेंगे। पिघली हुई बर्फ का पानी समंदर में जा मिलेगा। उससे समंदर के जलस्तर में वृद्धि होगी। जिससे उसके किनारे बसने वाले सभी शहर पानी में डूब जायेंगे, यानी दुनिया की एक चौथाई आबादी समाप्त हो जायेगी।
भीषण गर्मी के साथ अधिक जल संकट भी तब हमारे सामने होगा जो कि संभावित तीसरे विश्व युद्व का एक प्रमुख कारण हो सकता है।
जब हम वर्षा के साथ पानी की समस्या को जोड़ कर देखते हैं तो यह भूल जाते हैं कि पानी की किल्लत भी इंसानों की ही बनायी हुयी है। इससे वर्षा का कम होना या ज्यादा होने से कोई सीधा संबंध नहीं है।
बहुत से लोगों में यह गलत धारणा है कि भूगर्भ में जल का अथाह भंडार मौजूद है। भूगर्भ में कितना पानी है या हो सकता हैै, यह इस पर निर्भर है कि वहां की भू संरचना कैसी है। इस क्षेत्रा के लोगों के द्वारा उस भूजल का कितनी मात्रा में दोहन किया जा रहा है।
प्राचीन काल में जब कुआं, डाबरी और छोटे छोटे तालाब प्रचुर मात्रा में हुआ करते थे, तब भू-जल का स्तर 12 महीने एक जैसा बना रहता था लेकिन अब वह बात भी नहीं रही। शहरों और नगरों के लगातार विस्तार के कारण तालाबों को पाट कर उस पर ऊंची ऊंची इमारतें खड़ी की जा रही हैं। कुएं का स्थान आधुनिक बोरिंग ने ले लिया है। जितने मकान, उतने ही बोरिंग हो रहे हैं। इससे भू-जल स्तर लगातार नीचे खिसक रहा है।
शहरों और नगरों के विस्तार और कल कारखानों के लिये पेड़ों का विनाश भी लगातार हो रहा है। पेड़ भी भूजल स्तर को बनाये रखने में मददगार साबित होते हैं। पेड़ों के कटने से मौसम खुश्क हो रहा है और गर्मी बढ़ रही है।
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