दिलेर समाचार, नई दिल्ली। दिल्ली हाई कोर्ट ने आभासी मुद्रा जैसे 'क्रिप्टोकरेंसी' को लेकर भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के परिपत्र (सर्कुलर) को चुनौती देने वाली याचिका पर केंद्र सरकार, रिजर्व बैंक और जीएसटी परिषद से जवाब मांगा है. आरबीआई के परिपत्र में बैंकों एवं वित्तीय संस्थानों को ऐसे किसी व्यक्ति या कारोबारी इकाइयों को सेवा उपलब्ध कराने से रोका गया है जो आभासी मुद्रा से जुड़े हों.
न्यायमूर्ति एस रवींद्र भट और ए के चावला की पीठ ने वित्त मंत्रालय, आरबीआई और जीएसटी परिषद को नोटिस जारी करके 24 मई तक अपना जवाब देने को कहा है.
न्यायालय में इस मामले को लेकर याचिका गुजरात की एक कंपनी कली डिजीटल इकोसिस्टम्स प्राइवेट लिमिटेड की ओर से दायर की गयी है. कंपनी का कहना है कि वह भारत में आभासी मुद्रा (क्रिप्टोकरेंसी) विनिमय प्रणाली शुरू करना चाहती है. कंपनी ने याचिका में दावा किया कि इस संबंध में उसने पहले ही बड़ा निवेश कर रखा है और इस वर्ष अगस्त में 'क्वाइन रीकोइल' नाम से विनिमय प्रणाली शुरू करने की योजना बनाई है.
आरबीआई के परिपत्र के तहत, आरबीआई के विनियमन के तहत आने वाली इकाइयां ऐसे किसी व्यक्ति या कारोबारी इकाइयों को सेवा उपलब्ध नहीं कराएंगी जो आभासी मुद्रा से जुड़े हों. साथी ही वे इकाइयां जो पहले से ऐसी सेवाएं दे रही है उन्हें तीन महीने में इसे बंद करने के लिए कहा गया है.
याचिका में परिपत्र को मनमाना, असंवैधानिक और संविधान का उल्लंघन "करार देते हुए रद्द करने की मांग की गई है और जीएसटी परिषद को" आभासी मुद्रा पर उचित विनियमन तैयार" करने के लिए दिशानिर्देश की मांग की गई है
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