दिलेर समाचार, नई दिल्ली: महाराष्ट्र में BJP से अलग सरकार बनाने के ऐलान के साथ ही Shiv Sena ने खुदको NDA से भी अलग कर लिया है. पार्टी की इस घोषणा के साथ ही मोदी सरकार में शिवसेना के मंत्री अरविंद सावंत ने अपने पद से सोमवार को इस्तीफा दे दिया. Shiv Sena के इस फैसले पर अब बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बयान आया है. उनसे जब पटना में इस पूरे घटनाक्रम पर पूछा गया तो उन्होंने कहा कि वो जाने भाई इसमें हमको क्या मतलब है?. उधर, महाराष्ट्र में BJP सरकार नहीं बनाएगी यह अब साफ हो गया है. ऐसे में अब सभी की निगाहें Shiv Sena-Congress और NCP की तरफ हैं. NCP प्रमुख शरद पवार ने Shiv Sena के साथ सरकार बनाने की संभावनाओं को लेकर बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि हम सरकार बनाने को लेकर कोई भी फैसला कांग्रेस से बात किए बगैर नहीं करने जा रहे हैं. उधर, कांग्रेस पार्टी ने महाराष्ट्र के मौजूदा राजनीतिक हालात को लेकर CWC की बैठक बुलाई है. इस बैठक में पार्टी शिवसेना को समर्थन को लेकर पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से चर्चा करने के बाद ही कोई फैसला लेगी.
इन सब के बीच, केंद्र की मोदी सरकार में शामिल शिवसेना के इकलौते मंत्री अरविंद सावंत ने इस्तीफे का ऐलान किया है. ट्विटर पर इस्तीफे के फैसले की जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि शिवसेना का पक्ष सच्चाई है. झूठे माहौल के साथ नहीं रहा सकता है. अरविंद सावंत ने कहा कि 11 बजे इस पर प्रेस कॉन्फ्रेंस करेंगे. यह फैसला ऐसे में उन्होंने किया है जब महाराष्ट्र में शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी की सरकार बनाने की खबरें हैं. अरविंद सावंत के इस्तीफे के ऐलान के साथ ही तय हो गया है कि शिवसेना एनडीए से बाहर हो गई है.
शिवसेना और बीजेपी की दोस्ती 30 साल पुरानी थी. माना जा रहा है कि एनसीपी ने महाराष्ट्र में साथ सरकार बनाने के लिए शिवसेना के सामने शर्त रखी थी कि उसे पहले एनडीए से नाता तोड़ना होगा. हालांकि महाराष्ट्र में शिवसेना और एनसीपी को सरकार बनाने के लिए कांग्रेस के भी समर्थन जरूरत पड़ेगी. लेकिन कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा है कि आज 10 बजे मीटिंग होने वाली है और उसमें आलाकमान के निर्देश के मुताबिक फैसला लिया जाएगा. लेकिन उसके साथ ही उन्होंने कहा कि अभी तक का जो फैसला है कि हमें विपक्ष में ही बैठना चाहिए.
आपको बता दें कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव मे बीजेपी को 105, शिवसेना को 56, एनसीपी को 54 और कांग्रेस को 44 सीटें मिली हैं. बीजेपी और शिवसेना ने मिलकर बहुमत का 145 का आंकड़ा पार कर लिया था. लेकिन शिवसेना ने 50-50 फॉर्मूले की मांग रख दी जिसके मुताबिक ढाई-ढाई साल सरकार चलाने का मॉडल था. शिवसेना का कहना है कि बीजेपी के साथ समझौता इसी फॉर्मूले पर हुआ था लेकिन बीजेपी का दावा है कि ऐसा कोई समझौता नहीं हुआ. इसी लेकर मतभेद इतना बढ़ा कि दोनों पार्टियों की 30 साल पुरानी दोस्ती टूट गई.
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