दिलेर समाचार, पटना. बिहार विधानसभा चुनाव परिणाम (Bihar Election results) के बाद राजद, वाम दल और भाजपा जहां फायदे में रही है, वहीं कई सियासी पार्टियों को करारा झटका लगा है. सीएम नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) की जेडीयू (JDU) को डैमेज करने के इरादे से चुनावी मैदान में उतरी लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) के अध्यक्ष चिराग पासवान (Chirag Paswan) की अगुवाई में लोजपा ने महज एक सीट पर ही सफलता पाई है. इस चुनाव में पार्टी वह कमाल नहीं कर पाई, जिसका दावा चिराग कर रहे थे. उलटा यह कि लोजपा के गठन के बाद से अबतक की उसकी सबसे बड़ी हार मानी जा रही है. लोजपा के 135 उम्मीदवार मैदान में थे और उसने सिर्फ एक सीट जीती है.
आंकड़े बताते हैं कि 2020 का विधानसभा चुनाव में लोजपा ने अब तक का सबसे खराब प्रदर्शन किया है. पूर्व केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान (Ram vilas paswan) द्वारा वर्ष 2000 में लोजपा के गठन के बाद से सबसे अधिक 29 सीटें 2005 के फरवरी में हुए चुनाव में मिली थीं. यह चुनाव पार्टी के लिए पहला था.
फरवरी 2005 में हुए चुनाव में लोजपा का स्पष्ट रूप से किसी दल के साथ गठबंधन नहीं था, पर कांग्रेस के साथ कुछ सीटों पर उसकी आपसी तालमेल थी. तब उसके 178 प्रत्याशी मैदान में उतरे थे. इसके बाद साल 2005 अक्टूबर-नवंबर में हुए चुनाव में लोजपा का सीपीआई के साथ गठबंधन था. लोजपा के 203 उम्मीदवार मैदान में थे, जिनमें दस ने जीत दर्ज की थी.
इसी तरह साल 2010 के चुनाव में राजद के साथ गठबंधन हुआ और लोजपा के 75 उम्मीदवार मैदान में उतरे. तब उसे दस सीटों पर जीती मिली थी. वर्ष 2015 में एनडीए के तहत 42 सीटों पर लोजपा मैदान में उतरी, जिनमें दो पर विजय मिली.
गौरतलब है कि यह पहली बार है जब चिराग पासवान ने पिता रामविलास पासवान की अनुपस्थिति में चुनाव लड़ा है. इससे पहले चुनाव की कमान हमेशा रामविलास पासवान के हाथ में ही होती थी. इसलिए यह आंकड़े चिराग को काफी सताएंगे.
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