दिलेर समाचार, (नीरज शर्मा)। 23 अगस्त 2023 को जैसे ही घड़ी की सुईयां सांय 6 बज कर 4 मिनट पर पहुंची तो भारत की 140 करोड जनता अचानक खुशी से झूम उठी।जैसे ही उन्हे पता चला की भारतीय अंतरिक्ष यान विक्रम लैंडर चांद की सतह पर सोफ्ट लैंडिंग करने में सफल रहा है। सब एक दूसरे के गले लग बधाईयां देने लगे।मंदिरों में मिशन सफलता के लिए की जा रही प्रार्थना, मस्जिदों से पढ़ी जा रही दुआ,गुरूद्वारों में की जा रही अरदास और चर्चों में हो रही प्रेयर काम आई। यह भारतीयों का वो कारनामा है जिसने भारत सहित भारतीय अंतरिक्ष संस्थान इसरो का नाम विश्व इतिहास में सुनहरे अक्षरों में अंकित करवा दिया।इस सफलता ने सम्पूर्ण विश्व को भारतीय तकनीकि दक्षता और दृढ़संकल्प का लोहा मानने के लिए मजबूर कर दिया है।भारत चांद की सतह पर अंतरिक्ष यान की सोफ्ट लैंडिंग करवाने वाला विश्व का चौथा और चांद के दक्षिण ध्रुव पर उतरने वाला पहला देश बन गया है।मिशन चंद्रयान की घोषणा 15 अगस्त 2003 में उस समय के भारतीय प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेई ने की थी।इस तरह से विधिवत तौर पर 8 नवंबर 2003 को इसरो को मिशन चंद्रयान-1 आरंभ करने की मंजूरी मिल गई।शुद्ध भारतीय तकनीक और इसरो के वैज्ञानिकों की जी तोड़ मेहनत के बल पर आरम्भ के करीब 5 साल बाद 22 अक्टूबर 2008 को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से मिशन चंद्रयान-1के तहत अंतरिक्ष यान चांद की ओर लांच किया।इसे चांद की कक्षा में प्रवेश और स्थापित कर इसरो को बड़ी कामयाबी मिली।14 नवंबर 2008 को चंद्रयान-1 चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास दुर्घटनाग्रस्त हो गया।इसका दुर्घटनाग्रस्त होना कोई तकनीकि खामी नहीं थी।यह तो मिशन पूर्ण होने का संकेत था।उसे डिजाइन ही कार्य पूर्ण कर क्रैश लैण्डिंग तकनीक पर किया गया था। उस मिशन से चांद की सतह पर पानी के अणुओं की मौजूदगी का पता लगाने में इसरो कामयाब रही थी।चंद्रयान-1 के डेटा का इस्तेमाल कर चांद पर बर्फ की पुष्टि इसरो ने कर दी थी।यह तो अंतरिक्ष की दुनिया में भारत के बढते कदमों का आरम्भ मात्र था।
इस अद्वितीय सफलता के उपरांत चंद्रयान-2 मिशन को मंजूरी मिली।इस अभियान के तहत 22 जुलाई, 2019 को 14:43 बजे भारत ने सतीश धवन अंतरिक्ष केन्द्र श्रीहरिकोटा से चंद्रयान-2 लॉन्च किया और 20 अगस्त को चंद्रयान-2 चांद की कक्षा में प्रवेश कर गया।अब इस यान को चांद की सतह पर सुरक्षित उतर कर चांद की सतह पर रोबोट रोवर संचालित करना था।लेकिन 02 सितंबर 2019 को चांद की ध्रूवीय कक्षा में चांद का चक्कर लगाते समय लैंडर 'विक्रम' अलग हो गया और सतह से 2.1 किलोमीटर की ऊंचाई पर लैंडर का स्पेस सेंटर से संपर्क टूट गया परंतु भारतीय वैज्ञानिको ने निराश हुए बिना फिर से चांद मिशन के तहत चंद्रयान-3 आरम्भ करने की मंजूरी सरकार से प्राप्त की और चंद्रयान-2 की आंशिक असफलता से सबक ले 14 जुलाई 2023 को सतीश धवन अंतरिक्ष केन्द्र श्रीहरिकोटा आंध्रप्रदेश से चंद्रयान-3 लॉन्च किया। 23 अगस्त 2023 की सांय इसरो ने अपना कार्य सफलता पूर्वक करते हुए चांद के दक्षिण ध्रुव पर यान को सुरक्षित उतार दिया।यह पूरे विश्व के सामने भारतीय तकनीक सामर्थ्य और संपन्नता का उदघोष है।इस कार्य के लिए सभी देशवासीयों को हार्दिक बधाई और इसरो को भविष्य के अभियानों की सफलता के लिए शुभकामनाये।
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