दिलेर समाचार, नई दिल्ली. भारतीय खिलाड़ी क्रुणाल पंड्या का जन्म आज के ही दिन 24 मार्च 1991 को हुआ था. बड़ौदा टीम के कप्तान 30 वर्षीय क्रुणाल भारत के स्टार ऑलराउंडर हार्दिक पंड्या के बड़े भाई भी हैं. जन्मदिन से एक दिन पहले ही क्रुणाल को वनडे डेब्यू करने का मौका मिला और उन्होंने ताबड़तोड़ अर्धशतक जड़ दिया. टीम इंडिया के ऑलराउंडर और मुंबई इंडियंस के अहम खिलाड़ी क्रुणाल पंड्या की निजी जिंदगी बेहद दिलचस्प रही है. आइये जानते हैं उनके बारे में कुछ मजेदार बातें...
क्रुणाल पंड्या ने क्रिकबज के शो स्पाइसी पिच में खुलासा किया था, मेरे और हार्दिक के ज्यादा दोस्त नहीं थे. हम स्कूल जाते थे और फिर ग्राउंड पर जाते थे. मैं तो 10वीं में 3 बार फेल हुआ, लेकिन मैंने हार नहीं मानी और उसके बाद कॉलेज भी पास किया. कहीं ना कहीं मेरे अंदर डर भी था कि अगर क्रिकेट में कुछ नहीं हुआ तो शिक्षा जरूरी है, कुछ ना कुछ तो गुजारा कर ही लेंगे.
क्रुणाल पंड्या ने क्रिकबज के शो स्पाइसी पिच में खुलासा किया था, मेरे और हार्दिक के ज्यादा दोस्त नहीं थे. हम स्कूल जाते थे और फिर ग्राउंड पर जाते थे. मैं तो 10वीं में 3 बार फेल हुआ, लेकिन मैंने हार नहीं मानी और उसके बाद कॉलेज भी पास किया.
क्रुणाल और हार्दिक पंड्या ने फर्श से अर्श तक का सफर काफी मेहनत करने के बाद तय किया है. एक खास इंटरव्यू में क्रुणाल पंड्या ने खुलासा किया कि उन्हें क्रिकेट में संघर्ष के दौरान सरकारी नौकरी का ऑफर भी मिला था जिसे उन्होंने स्वीकार नहीं किया और आज इसी वजह से उनकी जिंदगी बदल गई है. उन्होंने कहा, उस वक्त स्पीड पोस्ट में सरकारी नौकरी निकली थी. मुझे याद है कि ट्रायल के लिए मुझे लेटर आया. पापा ने कहा कि 25-30 हजार की नौकरी मिल जाएगी. उसी दिन मेरे ट्रायल मैच भी थे सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी के लिए. मैंने सोचा कि पिछले दो-ढाई साल में मैंने मेहनत की है लेकिन इस स्पीड पोस्ट की नौकरी के लिए नहीं. मैंने अच्छा क्रिकेट खेलने के लिए मेहनत की. मैंने सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी के ट्रायल मैच खेलने का फैसला किया और मैंने स्पीड पोस्ट की सरकारी नौकरी का लेटर फाड़ दिया. मैंने ट्रायल मैच में अच्छा प्रदर्शन किया और मैं बड़ौदा की टीम में आ गया. हार्दिक उस टीम में पहले से ही था.
क्रुणाल ने खुलासा किया कि उनकी सफलता में उनके पिता का बहुत बड़ा योगदान है. उन्होंने कहा, सिर्फ 6 साल की उम्र में मेरे पिता ने मेरा टैलेंट पहचाना, हम सूरत में रहते थे और पिता ने वडोदरा शिफ्ट होने का फैसला किया. ऐसा शायद ही आपने कहीं सुना हो. अगर मैं अच्छे लेवल पर क्रिकेट खेल रहा होता तब पिताजी ये फैसला लेते तो अलग बात थी लेकिन सिर्फ 6 साल की उम्र में पिता ने मुझे पहचाना तो अपने आप में ही कमाल की बात है.
बता दें कि क्रुणाल पंड्या (Krunal Pandya) ने अपने डेब्यू वनडे में तूफानी पारी खेली. उन्होंने 26 गेंद पर अर्धशतक पूरा किया. यह बतौर भारतीय बल्लेबाज डेब्यू मैच में सबसे तेज अर्धशतक है. पंड्या ने पारी में 31 गेंद का सामना किया और 7 चौके और 2 छक्के लगाए. यह पारी उन्होंने अपने दिवंगत पिता हिमांशु पंड्या को समर्पित की.
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