दिलेर समाचार, एक साथ तीन तलाक के मुद्दे पर सरकार नया कानून लेकर नहीं आएगी। कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद और केस में एमिकस क्यूरी रहे सलमान खुर्शीद ने बताया कि कॉन्स्टिट्यूशनल बेंच का फैसला खुद ही कानून, सरकार को कानून बनाने की जरूरत नही है। तलाक देने पर रोक नहीं लगी है। सुप्रीम कोर्ट ने सिर्फ सिंगल सिटिंग में 'तीन तलाक' कहने को अनकॉन्स्टिट्यूशनल (असंवैधानिक) ठहराया है। Q&A में समझें मामला...
Q. सुप्रीम कोर्ट ने क्या फैसला दिया?
A.1400 साल पुरानी तीन तलाक की प्रथा पर सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को ऐतिहासिक फैसला सुनाया। 5 जजों की बेंच ने 3:2 की मेजॉरिटी से कहा कि तीन तलाक वॉइड (शून्य), अनकॉन्स्टिट्यूशनल (असंवैधानिक) और इलीगल (गैरकानूनी) है। बेंच में शामिल दो जजों ने कहा कि अगर सरकार तीन तलाक को खत्म करना चाहती है तो वह इस पर 6 महीने में कानून लेकर आए।
- चीफ जस्टिस जेएस खेहर ने कहा, "तीन तलाक मुस्लिम धर्म की रवायत है, इसमें ज्यूडिशियरी को दखल नहीं देना चाहिए। अगर केंद्र तीन तलाक को खत्म करना चाहता है तो 6 महीने के भीतर इस पर कानून लेकर आए और सभी पॉलिटिकल पार्टियां इसमें केंद्र का सहयोग करें।"
Q. चीफ जस्टिस ने कानून बनाने को कहा। नया कानून कैसे और कब तक बनेगा?
A. सरकार को कानून बनाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। क्योंकि चीफ जस्टिस की बात बहुमत के फैसले में शामिल नहीं है। सिर्फ जस्टिस नजीर ही उनसे सहमत हैं। जिन तीन जजों ने तीन तलाक को असंवैधानिक कहा है, उन्होंने कानून बनाने के निर्देश नहीं दिए हैं। संविधान पीठ का फैसला खुद में कानून होता है। इस पर अलग से कानून की जरूरत नहीं।
Q. सरकार ने कानून नहीं बनाया तो मुस्लिम समुदाय में तलाक कैसे होंगे?
A. तलाक देने पर रोक नहीं लगी है। सुप्रीम कोर्ट ने सिर्फ सिंगल सिटिंग में ‘तीन तलाक’ कहने को अनकॉन्स्टिट्यूशनल ठहराया है। इसे तलाक-ए-बिद्दत कहा जाता है। इससे वॉट्सएप, ईमेल, एसएमएस, फोन, चिट्ठी जैसे अजीब तरीकों से तलाक देने पर रोक लगेगी। मुस्लिमों में तलाक देने की और भी दो तरीके हैं। तलाक-ए-हसन और तलाक-ए-अहसन। इनमें पति-पत्नी को विवाद सुलझाने के लिए 90 दिन दिए जाते हैं। बात नहीं बनने पर 30-30 दिन के अंतर पर दो बार तलाक बोले जाते हैं। इस पर रोक नहीं लगाई गई है।
Q. अगर किसी ने अब भी सिंगल सिटिंग में पत्नी को तलाक दे दिया तो क्या होगा?
A. महिला स्पेशल मैरिज एक्ट-1954 के तहत हक मांग सकती है। आईपीसी की धारा-125 के तहत मेंटेनेंस, सिविल सूइट व मुस्लिम मैरिज एक्ट के ऑप्शन भी हैं। घरेलू हिंसा कानून के तहत भी कार्रवाई मुमकिन है, लेकिन पिछले पीड़ितों को इससे न्याय नहीं मिल सकता।
Q. बहुविवाह और हलाला का क्या हुआ?
A. तीन तलाक के अलावा बहुविवाह (polygamy) और हलाला भी सुनवाई का हिस्सा थे। कॉन्स्टिट्यूशनल बेंच ने इन दोनों पर सुनवाई नहीं की। अब इन दोनों मुद्दों पर नई पिटीशन दायर होने पर ही सुनवाई हो पाएगी।
Q. क्या कर सकती है सरकार
A. सरकार ने अब तक जो संकेत दिए हैं, उसके मुताबिक फौरन कोई कानून नहीं बनाने जा रही है। जानकारों के मुताबिक, 1935 के शरीयत कानून में एमेंडमेंट किए जाएंगे। यह कानून मुस्लिम निकाल कानून को कवर करता है। एक इंटरव्यू में रवि शंकर प्रसाद ने कहा अगर इस मामले में कोई गैप होगा तो उसे लेकर कानून में बदलाव किया जाएगा।
फैसले पर विचार करेगा मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड
- सुप्रीम कोर्ट में तीन तलाक की जोरदार पैरवी कर चुके मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने 7 सितंबर को भोपाल में मीटिंग बुलाई है। बोर्ड के मेंबर जफरयाब जिलानी ने कहा कि इसमें निकाह के कानून में बदलाव पर चर्चा होगी। साथ ही कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का पहले भी सम्मान किया है, आज के फैसले के बारे में भी विचार करेंगे।
वुमन पर्सनल लॉ बोर्ड ने क्या कहा?
- ऑल इंडिया मुस्लिम वुमन पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMWPLB) ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर खुशी जताई और मिठाई बांटी। वुमन बोर्ड प्रेसिडेंट शाइस्ता अंबर ने कहा कि यह ऐतिहासिक फैसला है। इससे उन महिलाओं को नई जिंदगी मिलेगी, जिन्हें तीन तलाक के जरिए तलाक दे दिया।
- कानपुर की मुस्लिम महिला काजी डॉ. हिना जाहिद नकवी ने कहा, "सुप्रीम कोर्ट ने जो 6 महीने का वक्त दिया है, वो मुस्लिम महिलाओं की पूरी जिंदगी के सामने बहुत छोटा है। इस फैसले से मुस्लिम महिलाओं ने एक राहत की सांस मिली है।
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