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मिट रही आवास की आस,टूट रहा गरीबो का विश्वास,विफल रहा प्रशासनिक प्रयास

Posted at: Aug 3 , 2017 by Dilersamachar 11752
दिलेर समाचार, शिवकेश शुक्ला, अमेठी। यूपी में योगी सरकार बनने के बाद ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सबका साथ-सबका विकास और हर वर्ग को तरक्की की राह में साथ लेकर चलने की बात ने कही थी लेकिन यहाँ तो तश्वीर ही कुछ और है ! अमेठी के मुसाफिरखाना तहसील अंर्तगत खौदिया ग्रामसभा में एक अल्पसंख्यक परिवार आज भी सरकारी उपेक्षा का शिकार बना हुआ है ! खौदिया ग्राम सभा में रहने वाले इस परिवार को न तो सरकारी इमदाद मिल रही और न ही सर छुपाने की जगह ! मजबूरन ये परिवार खाना बदोश जिंदगी जीने के लिए मजबूर है ।
ग्राम सभा खौदिया की जमीनी हकीकत जानने के लिए हमारे संवाददाता अमेठी ने इस गाँव की ओर रुख किया और जानना चाहा कि आज भी इस गाव में किन किन मूलभूत सुविधाओं का अभाव है और इस गांव का कितना विकास हुआ है। इसकी रियलिटी हम आप को गांव के रहने वाले लोगों से ही सुनवायेंगे। ताकि आप भी जान सकें ग्रामवासी आज भी एक अदद आवास जैसी समस्याओं को लेकर कराह रहे हैं परंतु इनकी सुनने वाला कोई नहीं है।
 
सियासी पटल पर सुर्खियों में रहने वाला अमेठी की खौदिया निवासनी मैसरी बानो पत्नी मो अख्तर के परिवार ऐसी झलक देखने को मिली है। जिसे देख आपको कतई यकीन नहीं होगा, लेकिन हकीकत है जिसे झुठलाया नहीं जा सकता। 21वीं सदी में भी मैसरी बानो के परिवार का सर ढकने के लिए आज भी एक छत भी मयस्सर नही है मैसरी बानो के पति मो अख्तर दिहाड़ी मजदूर है जिनकी आय इतनी कम है कि परिवार नहीं बल्कि अपना भी पेट पलना मुमकिन नहीं है ।
चुनावी वादों से गरीबों का पेट भरने वाले नेता इस गरीब परिवार की ओर मुंह तक नहीं फेरते है। मैसरी बानो के 3 लड़के और 2 बेटियों की बेहतर परवरिश व शिक्षा की कौन कहे उनका पेट पलना भी मुश्किल हो रहा है एक वक्त की रोटी तक के लाले है फिर भी सरकारी विकास की आच इस गरीब परिवार तक नहीं पहुंच सकी है आलम है कि मजबूर परिवार पॉलीथीन की छत के नीचे बसर कर रहा है। मैसरी बानो का कहना है कि आवास की अर्जी कई बार प्रधान सहित आलाधिकारियो से लगायी गयी लेकिन नतीजा शिफर रहा जिसके बाद अब हम अपनी किस्मत को कोस चुप बैठ गये है वही दूसरी ओर खौदिया निवासी सलीम का कहना है गाँव के रास्ते में पानी भरने से पैदल चलना दूभर हो गया है जिसके चलते संक्रमण जनित बीमारियों ने भी डेरा डाल लिया है।
 
विकास की आँच से आज भी दूर ये अल्पसंख्यक परिवार-
एक ओर जहां सरकार अपने विकास की गाथा गाते नहीं थक रही और अल्पसंख्यको,गरीब,मज़लूमो को तमाम संसाधन मुहैया करने की बात कह खूब वाहवाही भी लूट रही है ! वही दूसरी ओर  मुसाफिरखाना में ये अल्पसंख्यक परिवार आज भी पॉलीथिन तानकर रहने पर मजबूर है भले ही योगी सरकार अपने आप को अल्पसंख्यकों की हितैषी होने के लाख दावे करती है मगर यहाँ तो किसी नेता और आलाअफसरानों की नजर इस परिवार पर आज तक नहीं पड़ी है ! पूर्व में मुख्य विकास अधिकारी अमेठी द्वारा अंगीकृत गाँव में रहने वाले इस परिवार को न तो कोई आवासीय योजना का लाभ मिल पाया है और न ही सर छुपाने का कोई इंतेजाम है ! 
 
असंतुलित विकास की देन हैं झोपडी-
हरेक व्यक्ति के लिए अपना मकान सुखद अनुभूति देने वाला होता है धनी वर्ग के सामने अपना मकान बनाना किसी समस्या की भांति नहीं होता। क्योंकि उनके पास धन की कमी नहीं होती। वे एक से अधिक मकान बनवा सकते हैं। मध्यम वर्ग अपनी जीवन भर की कमाई से आशियाना बनाने का प्रयास करता है। लेकिन निम्न वर्ग के लिए यह सपना ही रहता है आज तक इस सपने को लेकर सिर्फ सहानुभूति ही मिलती रही है। सिर्फ चुनावों के दौरान झुग्गियों झोपडियो को नए मकानों में तब्दील करने की बात होती है। फिर इस वादे को बड़ी आसानी से भुला दिया जाता है।

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