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कौन बढ़ाएगा शिक्षा की गुणवत्ता?

Posted at: May 16 , 2019 by Dilersamachar 9662

सतीश कुमार कुलश्रेष्ठ

शिक्षा विकास की धुरी है। शिक्षा राष्ट्र के निर्माण की धुरी है। शिक्षा का आयोजन इस प्रकार का होना चाहिए कि विद्यार्थी को अधिकतम शैक्षिक लाभ मिल सके। नवाचार के अंतर्गत शिक्षालयों को शिक्षा की गुणवत्ता निरंतर बढ़ानी चाहिए। इसी से देश में कुशल व योग्य शिक्षाविद्, राजनीतिज्ञ, पत्राकार, इंजीनियर डॉक्टर आदि तैयार हो सकेंगे। शिक्षा को गुणवत्ता प्रदान करने के लिए सरकारी और निजी संस्थानों के शिक्षकों को कमर कसनी होगी।

अधिक वेतन पाने के बावजूद सरकारी अध्यापक प्राथमिक कक्षाओं में पढ़ाते नहीं है। वहीं स्तरीय निजी विद्यालयों के परिणाम साल दर साल बेहतर आते हैं। कर्तव्यनिष्ठा के आभास से बेखबर कुछ कार्मिक तो हरेक विभाग में होते हैं। जरूरत सभी तरह के शिक्षकों को प्रोत्साहन देने की है। इसी प्रेरणा से शैक्षिक परिणामों में उत्तरोत्तर सुधार लाया जा सकता है।

आज यह तथ्य विचारणीय है कि शिक्षा विभाग द्वारा पढ़ाई में शिथिलता बरतने वालों पर शिकंजा कसने से गुरेज नहीं करना चाहिए। विद्यालय की प्रगति जानने के लिए औचक निरीक्षण की बारम्बारता बढ़नी चाहिए। निरीक्षण केवल दस्तावेजों के उलट-पुलट तक सीमित नहीं रहे। सक्षम संस्था प्रधान भी शैक्षिक कार्य की सतत् मॉनीटरिंग करके तथा शिक्षकों को प्रेरित करके उन्हें कार्य के प्रति जिम्मेदार बना सकते हैं।

सरकारी-गैर सरकारी सभी शिक्षकों का उद्देश्य एक ही है। उनकी जिम्मेदारी भिन्न-भिन्न मेधाशक्ति वाले विद्यार्थियों के शैक्षिक भविष्य को संवारना है। उन्हें ज्ञानवान, सभ्य, संस्कारवान और अनुशासित बनाना शिक्षक का ही उत्तरदायित्व है। यह उत्तरदायित्व कुशल शिक्षक ही निभा सकता है।

सरकारी शिक्षकों का मनोबल बनाए रखने के लिए ट्रांसफर पॉलिसी में आंशिक बदलाव जरूरी है। इसकी परिधि 120 कि॰मी॰ से अधिक नहीं होनी चाहिए ताकि शिक्षकों का अपने घरों में साप्ताहिक आवागमन संभव हो सके। विद्यालयों में शिक्षकों की पूर्ति की जानी चाहिए। शिक्षकों की कमी के चलते प्रतिनियुक्ति पर भेजे गए शिक्षकों की वापसी होनी चाहिए। जनगणना अथवा अन्य आंकड़ों के एकत्राीकरण में शिक्षकों को ग्रीष्मकालीन या अन्य अवकाशों की अवधि में अतिरिक्त मानदेय पर लगाया जाना चाहिए। इससे शैक्षिक कार्यक्रम नहीं गड़बड़ाएगा।

शिक्षा विभाग और शिक्षकों को मिल जुलकर विद्यार्थियों के शैक्षिक उन्नयन में अपने-अपने स्तर से योगदान करना चाहिए। इससे शैक्षिक गुणवत्ता भी बढ़ेगी। शासन को सरकारी एवं गैर सरकारी शिक्षकों को बेहतर परिणाम देने के लिए समान रूप से सम्मानित करना चाहिए। इससे सभी शिक्षक शैक्षिक परिणाम की बेहतरी के कार्य में मन से जुटेंगे। 

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