दिलेर समाचार, नई दिल्ली। आम आदमी पार्टी की राष्ट्रीय परिषद की बैठक गुरुवार को अलीपुर स्थित एक फार्म हाउस में हुई। मुख्यमंत्री अरविद केजरीवाल समेत दिल्ली के तमाम आप नेताओं ने अपनी सरकार की उपलब्धियों का बखान किया। दिल्ली सरकार के कार्यों में रोड़ा अटकाने का आरोप उपराज्यपाल के मत्थे मढ़ा।
अपना बखान और विरोधियों की आलोचना के बीच पार्टी का दिल्ली से बाहर विस्तार करने का फैसला किया गया, लेकिन परिषद के कई सदस्यों की मांग पर भी आप नेतृत्व मध्य प्रदेश, हरियाणा एवं राजस्थान में विधानसभा चुनाव लड़ने को लेकर अंतिम फैसला नहीं कर पाया। इसके पीछे की वजह शायद पंजाब विधानसभा चुनाव के बाद गुरदासपुर लोकसभा क्षेत्र के उप चुनाव में मिली करारी शिकस्त रही।
देश में नौजवानों, किसानों एवं अर्थव्यवस्था की हालत को खस्ता बताते हुए गुजरात की डेढ़ सौ सीटों पर पूरी ताकत से चुनाव लड़ने की बात आप नेताओं ने कही। बैठक के दौरान जिस तरह से सदस्यों के बीच खेमेबंदी दिखी, वह कहीं न कहीं दिल्ली से राज्यसभा की तीन सीटों के लिए पार्टी में चल रही खींचतान को इंगित कर रही थी। राज्यसभा के लिए दिल्ली से तीन सीटों के लिए चुनाव जनवरी में होने हैं, लेकिन आप में दावेदारों की संख्या एक दर्जन से ज्यादा है।
सुबह दस बजे के बजाय साढ़े ग्यारह बजे बैठक शुरू हुई। कुमार विश्वास सहित कई नेता सुबह ही पहुंच गए, लेकिन अरविद केजरीवाल शाम सवा चार बजे पहुंचे और पंद्रह मिनट बोलने के बाद चले गए। बैठक शुरू होने पर कुमार विश्वास के कुछ समर्थकों ने उनका नाम वक्ताओं की सूची में शामिल न होने पर आपत्ति जताई, जिसका केजरीवाल समर्थकों ने यह कहते हुए विरोध किया कि वक्ताओं का पैनल सर्वसम्मति से तय किया गया है। कुछ मिनट के लिए दोनों पक्षों के कुछ सदस्यों में तू-तू, मैं-मैं भी हुई, लेकिन कुमार विश्वास ने आगे बढ़कर मामले को शांत करा दिया।
आशंका इस बात की भी थी कि आप विधायक अमानतुल्लाह खान का निलंबन वापस लिए जाने का मसला भी उठेगा, शायद इसी डर से अधिकांश सदस्यों के मोबाइल फोन सभागार के बाहर रखवा लिए गए थे।
मध्य प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान से आए सदस्यों ने तीनों राज्यों में विधानसभा चुनाव पूरी ताकत से लड़ने का सुझाव दिया। उनका कहना था कि अभी से इस संबंध में अंतिम फैसला हो, जिससे कि पूरी तैयारी के साथ चुनाव लड़ा जा सके। गुजरात से आए सदस्यों ने कहा कि इस समय गुजरात के लोग भाजपा से नाराज हैं और कांग्रेस को भी वोट नहीं देना चाहते हैं। उन्होंने सुझाव दिया कि पार्टी गुजरात की डेढ़ सौ सीटों पर चुनाव पूरी ताकत से लड़े।
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